पाप कर्मों को मिटाने का पर्व है पर्युषण पर्व -साध्वी डॉ चंद्रप्रभा

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संवाददाता भीलवाड़ा। आसींद वर्षभर में जो हमने पाप कर्म किये है उन्हें हटाने वाला एक मात्र लोकोत्तर पर्व पर्युषण पर्व है। माता -पिता के अनंत उपकारों को कभी नही भूलना चाहिए। जो व्यक्ति अपने माँ – बाप से प्यार नही करता है वो अपने दोस्तों , रिश्तेदारों के साथ क्या प्यार करेगा? हमारी संस्कृति में पर्व का मतलब मन के भीतर की गांठे खोले, जहाँ पर गांठे होती है वही पर बंधन होता है।उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी डॉ चंद्रप्रभा ने पर्युषण पर्व के दूसरे दिन धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि पर्युषण पर्व के दौरान अंतगढ़दशांग सूत्र के सुनने मात्र से ही दशाओं के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। नवकार महामन्त्र का सामूहिक जाप जो पिछले 28 सप्ताह से हर रविवार को चल रहा है जो काफी अनुकरणीय है।साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि हमे सुबह उठते ही माता -पिता को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए, उनकी जितनी आप सेवा करोगे उतना आपको मेवा मिलेगा। सामायिक तपस्या भले ही बाद में करे पहले माता पिता की सेवा करे। कभी भी किसी भी परिस्थिति में माता पिता का अनादर नही करे उन्हें कभी कटु वचन नही बोले। साध्वी चंदनबाला ने कहा कि किसी भी पंथ या सम्प्रदाय के साधु संत हो उनका कभी भी अपमान नही करे। साधु की निंदा करना पूरे समाज की निंदा करने के समान है। किसी भी साधु की कीमत उसकी उम्र से नही होती है , उसकी कीमत उसके ज्ञान से आंकी जाती है। साध्वी ने उपवास का मतलब बताते हुए कहा कि भूखा रहना कोई उपवास नही है, आत्मा के निकट रहना ही उपवास है। किसी भी तरह का अपराध होने पर उस अपराध की निंदा करना यानि कि अपनी बुराई पर हमला कर उस अपराध को मिथ्या करने का प्रयास करने का नाम ही प्रतिक्रमण है। कोई भी परिस्थिति हो सदैव अपने माता पिता के साथ रहे, उनका आशीर्वाद अगर आप पर है तो आपका जीवन मंगलमय हो जायेगा। अगर आपने उनका किसी कारण से दिल दुखाया है तो आने वाली पीढ़ी आपको कभी माफ नही करेगी साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा ने अंतगढ़दशांग सूत्र का वाचन कर उन्हें जीवन में उतारने की प्रेरणा दी । साध्वी मंडल की प्रेरणा से राजेंद्र चौधरी एवं परिवार द्वारा श्री पार्श्व कृपा पूर्णि माँ पदमावती पुस्तक का विमोचन किया गया। नवकार महामन्त्र के सामूहिक जाप के पश्चात निकाले गए लक्की ड्रा में श्रीमति विमलादेवी लक्ष्मीलाल बम्ब भाग्यशाली विजेता रही जिन्हें संघ द्वारा सम्मानित किया गया। धर्मसभा मे आसींद सहित आसपास के सभी गांवों के भक्तों ने भाग लिया जिनका श्री संघ ने शब्दों से स्वागत किया।

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