बुंदेलखंड़ में बचे हैं केवल 44 हाथी और 74 ऊंट

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उत्तर प्रदेश: पहाड़, जंगल और चट्टानी मैदान वाले बुंदेलखंड़ में घटते जंगल और बढ़ती आबादी के बीच पशुओं की संख्या में खासी कमी आई है। यहां 2012 में हुई पशु गणना में सिर्फ 44 हाथी और 74 ऊंट ही पाए गए हैं। एक दशक में इस संख्या में 25 से 30 फीसदी की कमी आई है। सरकारी नियम है कि जहां शहर बसा है वहां 30 फीसद इलाके में ग्रीन बेल्ट होना जरूरी है। यही नहीं जहां पर थर्मल पावर स्टेशन हों वहां 33 फीसद ग्रीन बेल्ट क्षेत्र होना चाहिए। लेकिन इसका पालन कम ही जगहों पर देखा जाता है।

हर एक दशक में कराई जाने वाली पशु गणना में इसका खुलासा हुआ है। वर्ष 2012 की पशु गणना के आधार पर चित्रकूटधाम परिक्षेत्र बांदा के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. लाखन सिंह ने बताया, ”पिछले दशक की गणना के मुताबिक, इस दशक में 25 से 30 फीसदी हाथी और ऊंटों की संख्या में कमी आई है।”

उन्होंने बताया, ”वर्तमान समय में बुंदेलखंड में सिर्फ 44 हाथी बचे हैं, जिनमें 27 नर और 7 मादा हैं। बांदा जिले में सर्वाधिक 28 हाथी हैं। इनमें 21 नर व 7 मादा हैं। महोबा जिले में 3 और जालौन में 13 हाथी हैं। चित्रकूट और हमीरपुर में हाथियों की संख्या शून्य है।” उन्होंने कहा, ”इसी तरह ऊंटों की संख्या के बारे में बुंदेलखंड में कुल 74 ऊंट हैं, जिनमें सबसे ज्यादा बांदा में 60, चित्रकूट में 7, महोबा में 5 और हमीरपुर में 2 ऊंट हैं, जबकि जालौन में एक भी ऊंट नहीं है। हाथी और ऊंट जंगली नहीं बल्कि पालतू हैं।”

इसी मामले पर पर्यावरणविद् बताते है कि, जंगलों का लगातार कम होता क्षेत्रफल पर्यावरण के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। जंगल एवं बारिश के एक दूसरे से जुड़े होने के कारण पानी के संकट के लिए भी वन क्षेत्र में कमी एक प्रमुख कारक है। भारत के वन क्षेत्र पर स्थिति रिपोर्ट 2015 के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना में जंगल तेजी से घटे हैं। पूरे भारत की बात करें तो 19वीं एवं 20वीं शताब्दी में देश में केवल 12 बार सूखा पड़ा, यानी 16 वर्ष में एक बार सूखा पड़ा। लेकिन 1968 के बाद से सूखे की तादाद में वृद्धि आई।

1968 से 1992 के बीच हर 16 वर्ष में तीन बार सूखा पड़ा। 2004-05 से 2007-08 के बीच चार बार गंभीर सूखा पड़ा। दरअसल, जिस तरह का विकास किया जा रहा है, उसका खमियाजा जल, जंगल और जमीन को भुगतना पड़ रहा है। यह आने वाले समय में हमारे लिए नुकसानदायक होगा। जंगल का कम होना बेहद चिंताजनक है। हमें संतुलित विकास करना चाहिए। इसके लिए दीर्घकालीन योजना बनाने की जरूरत है। भारत के वन क्षेत्र पर स्थिति रिपोर्ट 2015 के मुताबिक पिछले दो वर्षो में देश के वन क्षेत्र में 5081 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। भारत का कुल वन क्षेत्र 7,01,673 वर्ग किलोमीटर है। जो देश के सम्पूर्ण क्षेत्रफल का 21.34 फीसद है। इसमें वृक्षों ने 92572 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है।