काम के लिहाज से 18 साल में सबसे खराब रहा यह बजट सत्र

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नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का अंतिम दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। शुक्रवार को दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। काम के लिहाज से यह सत्र 18 साल में सबसे खराब रहा। लोकसभा में 23 और राज्यसभा में महज 28% काम हुआ। विभिन्न मुद्दों को लेकर आए दिन हंगामे के चलते सत्र का दूसरा चरण तो करीब-करीब पूरा ही बर्बाद हो गया।

संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार और संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने बताया कि 29 जनवरी से शुरू हुए बजट सत्र के दोनों चरणों में लोकसभा की 29 और राज्यसभा की 30 बैठकें हुई थीं। पहले चरण में लोकसभा की सात और राज्यसभा की आठ बैठकें हुईं।

तब लोकसभा में 134 और राज्यसभा में 96 फीसदी प्रोडक्टिविटी रही। लेकिन पांच मार्च से शुरू हुए दूसरे चरण में कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की प्रोडक्टिविटी महज चार अौर राज्यसभा की आठ फीसदी रह गई। पीआरएस रिसर्च डेटा के अनुसार साल 2000 के बाद यह बजट सत्र की सबसे कम प्रोडक्टिविटी है। उस साल लोकसभा में 21 और राज्यसभा में 27 फीसदी थी।

भाजपा सांसद 12 को अनशन करेंगे, कांग्रेसी 9 को करेंगे
दूसरे चरण में कोई कामकाज नहीं होने के विरोध में भाजपा सांसद 12 अप्रैल को अपने क्षेत्रों में अनशन करेंगे। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि जनादेश के प्रति कांग्रेस की असहिष्णुता के बारे में लोगों को बताया जाएगा। जवाब में कांग्रेस ने भी 9 अप्रैल को अनशन की घोषणा की है। पार्टी ने कहा कि राज्य व जिला मुख्यालयों पर अनशन करके कार्यकर्ता मोदी सरकार के झूठ के बारे में बताएंगे।

सदन में कांग्रेस का रवैया नकारात्मक
अनंत कुमार ने कहा- ”भाजपा लोगों को जोड़ने के लिए काम कर रही है, जबकि कांग्रेस अपनी नकारात्मक राजनीति के जरिए उन्हें बांटती है। इसीलिए उन्होंने संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी। कांग्रेस के इस रवैये के बीच हम 23 दिन तक सदन में बैठे रहे। आज सांसदों ने कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला किया। विरोध के दूसरे चरण में भाजपा सांसद अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में 12 अप्रैल को एक दिन उपवास करेंगे।”

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