बीएस-3 पर रोक लगने से, वाहन इंडस्ट्री को 3,100 करोड़ रुपए का नुकसान

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नई दिल्ली: बीएस-3 गाड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक से दोपहिया और कॉमर्शियल वाहन इंडस्ट्री को करीब 3,100 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। कॉमर्शियल वाहन इंडस्ट्री को 2,500 करोड़ और दोपहिया इंडस्ट्री को 600 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ेगा। क्रिसिल रिसर्च ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है। कार निर्माता कंपनियों ने काफी पहले बीएस-4 गाड़ियों का उत्पादन शुरू कर दिया था। कंपनियों-डीलरों के पास सिर्फ 16,000 बीएस-3 कारों की इन्वेंट्री थी। डिस्काउंट के कारण इसका भी बड़ा हिस्सा बिक गया।

बीएस-4 कॉमर्शियल वाहनों की कीमत बीएस-3 की तुलना में 8-10% ज्यादा होगी। इसलिए कंपनियों को उम्मीद थी कि लोग पुराने स्टैंडर्ड के वाहन ज्यादा खरीदेंगे। इसलिए मार्च में भी बीएस-3 गाड़ियों का उत्पादन जारी रखा। उन्हें लग रहा था कि अप्रैल में भी ये गाड़ियां बिकेंगी। कंपनियों ने 1 अप्रैल से पहले डिस्काउंट देकर स्टॉक खत्म करने की कोशिश की। इससे उन्हें 1,200 करोड़ का नुकसान हुआ। पुराने मानक की जो गाड़ियां नहीं बिकीं, उन पर करीब 1,300 करोड़ रु. नुकसान की आशंका है। इससे अशोक लेलैंड और टाटा मोटर्स जैसे ट्रक निर्माताओं के एबिटा मार्जिन में 2.5% गिरावट का अंदेशा है।

दोपहिया इंडस्ट्री को 600 करोड़ रु. का नुकसान
फैसले के वक्त करीब 3,800 करोड़ रु. के 6.7 लाख दोपहिया की इन्वेंट्री थी। आम तौर पर इतने वाहन बिकने में 15 दिन लगते हैं। लेकिन डिस्काउंट के चलते ज्यादातर स्टॉक तीन दिन में बिक गया। कुल करीब 600 करोड़ रु. का डिस्काउंट दिया गया। इसमें 460-480 करोड़ का बोझ कंपनियों पर आएगा। इससे हीरो, बजाज, टीवीएस जैसी कंपनियों के एबिटा मार्जिन में 1.5-2% गिरावट आएगी।

बहुतकम होगी बीएस-3 वाहनों की रीसेल वैल्यू
सरकारने 2020 तक देश में बीएस-6 मानक वाली गाड़ियां शुरू करने का लक्ष्य रखा है। एक आशंका यह भी है कि बीएस-4 गाड़ियों के आने के बाद बीएस-3 पर धीरे-धीरे रोक लग जाए। ऐसे में बीएस-3 वाहनों की रीसेल वैल्यू बहुत कम हो जाएगी।

ट्रक की कीमत 3-4 लाख रुपए तक बढ़ जाएगी
सुप्रीमकोर्ट के प्रतिबंध के वक्त डीलरों के पास 11,600 करोड़ रु. की 97,000 गाड़ियों की इन्वेंट्री थी। 20-40% डिस्काउंट के चलते तीन दिन में से करीब 55% गाड़ियां बिक गईं। कोर्ट का फैसला आने से पहले 10 फीसदी डिस्काउंट चल रहा था। करीब 40-45 हजार गाड़ियां बच गई हैं। कंपनियां इन्हें नए मानकों के हिसाब से अपग्रेड कर सकती हैं। लेकिन इससे कीमत 12-15 फीसदी बढ़ेगी। डीलर से गाड़ियां मंगवाने का खर्च अलग।

कुल मिलाकर एक ट्रक की कीमत 3-4 लाख रुपए बढ़ जाएगी। निर्यात भी एक विकल्प है, लेकिन उसमें 5-6 महीने लग सकते हैं। इतने दिनों तक इन्वेंट्री बनाए रखने का खर्च काफी ज्यादा होगा। एक और उपाय इन्हें खोलकर इनके पार्ट्स के इस्तेमाल करने का है।

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