राम रहीम का एक और खौफनाक चेहरा, डेरे में गला घोटकर मारे जाते थे लोग!

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चंडीगढ़: यौन शोषण के मामले में सीबीआई कोर्ट के द्वारा 20 साल की सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम का एक खौफनाक चेहरा सामने आया। शायद इस खबर को पढ़ने के बाद आप यकीन भी ना कर सकें। दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में राम रहीम के गार्ड बेअंत सिंह बता रहे हैं कि डेरे में सैकड़ो लोगों का गला घोंटकर मारा गया है और उसके बाद उनकी शरीर को भाखड़ा नहर में बहा दिया जाता था। ऐसा कई सालों तक चलता रहा लेकिन बाद में मारे जाने वाले लोगों का दाह संस्कार किया जाने लगा और उनरी हड्डियां डेरे के पीछे बने बाग में गाड़ दी जाती थी।

आपको बता दें बेअंत भी गुरमीत सिंह द्वारा बनाए गए 250 नपुंसक युवाओं में शामिल है। बेअंत के मुताबिक, इनमें से कई लड़के अब विदेश चले गए और कुछ लड़के अभी भी देश के विभिन्न हिस्सों में रहकर अपनी जिंदगी काट रहे हैं। यह बात खुद बेअंत सिंह ने टीवी चैनल को बताई है।

आगे अपने इंटव्यू में बताते है कि डेरा प्रमुख ने सबसे पहला मर्डर फकीर चंद का किया। उसके बाद सैकड़ों लोग मारे गए। जिसमें कई लोगों के शव या तो भाखड़ा नहर में बहा दिए या फिर अंतिम संस्कार के बाद बेरी के बाग में उनकी हड्डियां दबा दी गई। बेअंत के मुताबिक, जब हड्डियों की मात्रा बढ़ गई तो डेरा प्रेमियों से यह हलफनामे लिए जाने लगे कि यदि मृत्यु होती है तो उनकी डेड बॉडी शोध के लिए डेरे में दान दे दी जाएगी। हजारों लोगों ने ऐसे हलफनामे दिए। इसके बावजूद भी उनकी हड्डियां शोध के लिए नहीं बल्कि वहीं पुरानी जगह दफानाई गई।

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डेरे में रोज होती हैं 200 लड़कियां प्रताड़ित:

आगे बताते हुए कहा, कि 1995-96 में माउंट आबू में एक टेंट में गुरमीत सिंह नाबालिक लड़की को बुलाया उसके साथ रेप किया। ये मैं इसलिए कह सकता हूं कि उस दिन टेंट के बाहर पहरेदारी में ही कर रहा था। बेअंत के अनुसार डेरा प्रमुख ने 200 से 250 लड़कियों के साथ बुरा काम किया है। वहां करीब 400 लड़कियां हैं, जिन्हें साध्वी बताया जाता है। डेरा प्रमुख की गुफा में सारी रात कोई न कोई लड़की आती थी। उसके पहरेदारों में वह खुद शामिल होता था। बेअंत के मुताबिक उसकी धारणा माउंट आबू से बाबा के प्रति खराब हो चुकी थी, लेकिन बाकी पहरेदार उसके कुकृत्यों से सहमत थे।

पंचकुला में हिंसा सोची समझी साजिश

25 अगस्त को राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद कुछ देर में हिंसा शुरू हो गई वो एक सोची समझी रणनीति के तहत हुआ। कोर्ट के फैसले के बाद डेरा मुखी को भगाने की साजिश को लेकर ये हिंसा करवाई गई। सबसे पहला इसका टारगेट मीडिया और सरकारी भवन बनाएगे। बता दें भीड़ में डेरे के गुड़े भी शामिल थे जिन्हें मुफ्त का खाना और 1000 रूपये पर रखा गया था। हालांकि अब हालात सामान्य हो गए है लेकिन सिरसा में अभी भी कर्फ्यू जारी है।

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