आदिवासी समुदाय से हैं छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री, बीजेपी विधायक दल की बैठक में हुई घोषणा

Vishnu Deo Sai new Chhattisgarh CM : छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो चुकी है। रविवार को हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बैठक भाजपा विधायक दल की रायपुर स्थित पार्टी मुख्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में संपन्न हुई।

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Vishnu Deo Sai new Chhattisgarh CM : छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो चुकी है। रविवार को हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बैठक भाजपा विधायक दल की रायपुर स्थित पार्टी मुख्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में संपन्न हुई। आपको बता दें कि साल  2003 से 2018 तक तीन बार मुख्यमंत्री के लिए रमन सिंह को चुना गया है।

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ऐसे में इस बार के चुनाव में ये कयास लगाये जा रहे थे कि, अगर भाजपा रमन सिंह को मुख्यमंत्री के लिए नहीं चुनती है, तो शायद ओबीसी या आदिवासी समुदाय से मुख्यमंत्री का चुनाव कर सकती है, और हुआ भी ऐसा ही। भाजपा के नवनिर्वाचित 54 विधायकों की अहम बैठक में विष्णु देव साय के नाम पर मुहर लगाई गई।

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इस पद के दावेदारी के लिए बैठक में पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया और राज्य के सह प्रभारी नितिन नबीन भी शामिल थे। इसके अलावा बैठक में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भेजे गए तीन पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और सर्बानंद सोनोवाल और पार्टी महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम भी शामिल थे।

आदिवासी समुदाय से पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय के अलावा विधायक चुने जाने के बाद केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाली रेणुका सिंह, राज्य के पूर्व मंत्री रामविचार नेताम और लता उसेंडी तथा विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा देने वाली गोमती साय दावेदारों में शामिल थे।

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आपको बता दें कि साव प्रभावशाली साहू (तेली) समुदाय से आते हैं जिनकी दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर संभागों में बड़ी उपस्थिति है। राज्य की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 90 में से 54 सीट जीती हैं। वहीं 2018 में 68 सीट जीतने वाली कांग्रेस 35 सीट पर सिमट गई है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) एक सीट जीतने में कामयाब रही।

बता दें कि राज्य की आबादी में 32 फीसदी आदिवासी समुदाय शामिल है।  वहीं इस बार भाजपा ने एसटी (अनुसूचित जनजाति) की आरक्षित 29 सीट में से 17 सीट अपने नाम कर ली हैं। जिसमें आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग की सभी 14 सीट पर जीत हासिल की है। जबकि 2018 में भाजपा को आदिवासियों की आरक्षित सीट में केवल तीन सीट पर ही जीत मिली थी।

विधायक चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे चुके साव और ओ पी चौधरी दोनों अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं तथा मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल थे।

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