भीलवाड़ा: बड़ी तेजी के साथ मासूमों को बीमारियों के नाम पर निशाना बना रहा ये गिरोह

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भीलवाड़ा: काछोला इलाके की भीलबस्ती में रहने वाले दो माह के बच्चे को निमोनिया होने पर उसकी मां व पिता की बुआ शनिवार सुबह उसे धामणिया गांव के डॉक्टर को दिखाने जा रही थी। रास्ते में धामणिया चौराहा पर मिले एक भील जाति के व्यक्ति ने दोनों को रोका तथा रूई में आग लगा बालक के पेट से कुछ ऊपर डांव लगा दिया। मासूम की सेहत सुधरने के बजाय बिगड़ गई।

सांस लेने में तकलीफ होने पर दोपहर में माता-पिता व काका उसे जिला अस्पताल लाए, जहां गंभीर हालत में उसे चिल्ड्रन वार्ड में भर्ती किया गया। करीब ढाई घंटे उपचार के बाद उसने दम तोड़ दिया। अस्पताल चौकी पुलिस ने इसकी जानकारी काछोला पुलिस को दी, जो भीलवाड़ा पहुंची तथा घटना की जानकारी ली।

नाथू नाथ के दो माह के बेटे दिनेश को दो-तीन दिन से निमोनिया व खांसी हो रही थी। तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो शनिवार सुबह पिता नाथू नाथ ने पत्नी सुरजा व खामणिया गांव की बुआ सिणगार को उसे धामणिया गांव डॉक्टर को दिखाने भेजा। आपको बता दें ये मामला कोई नया है। ऐसे अंधविश्वास से भरा एक बड़ा गिरोह जिले में सक्रिया है। आए-दिन कई ऐसे मामले आते हैं लेकिन प्रशासन और लोगों की सुस्ती की वजह से अब ये गिरोह सबसे बड़ी चिंता बनता जा रहा है।

वहीं एसएचओ राजेंद्र सिंह का कहना है कि धामणिया के शनिवार को बच्चे को दागने की जानकारी मिलने पर टीम जिला अस्पताल भेजी। परिजनों से पूछताछ कर रहे हैं। जिस व्यक्ति ने डांव लगाया उसकी भी तलाश की जा रही है।

कोई नहीं जानता कौन था कहां से आया-
पिता नाथू नाथ का कहना हैं कि वह सुबह रेत भराने के लिए चला गया। जाने से पहले उसने पत्नी सुरजा व बुआ सिणगार से कहा कि दिनेश को दोनों धामणिया के डॉक्टर को दिखा आना, लेकिन उन्हें रास्ते में मिले किसी व्यक्ति ने रोका तथा रूई से डांव लगा दिया। मां सुरजा का कहना हैं कि वह उसको नहीं जानती हैं, लेकिन उसकी बुआ सास उसे पहचानती होगी।

सबसे बड़ी चिंता : अकेले भीलवाड़ा में 2 साल में 15 बच्चों को डांव लगाया, तीन बच्चों की हुई मौत
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष डॉ. सुमन त्रिवेदी का कहना हैं कि जिले में निमोनिया की शिकायत पर दागने की घटनाएं थम नहीं रही हैं। इससे पूर्व 19 मार्च को कारोई थाना क्षेत्र में भी चार माह की मासूम बच्ची को निमोनिया होने पर दागा गया था। दो साल में डांव लगाने से करीब 15 बच्चों की हालत बिगड़ने के मामले एमजी अस्पताल में आए। एक बालिका व दो बालकों की मौत हो चुकी है। शेष की तबीयत में सुधार हुआ है। लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

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