27 को भारत बंद, किसान सभाओं का सिलसिला जारी

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हनुमानगढ़। केन्द्र सरकार के बनाए कृषि कानून केवल किसानों के लिए ही नहीं बल्कि किसानों के साथ कृषि से जुड़े प्रत्येक वर्ग के लिए हानिकारक है। सबसे पहले किसानों ने इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा तो इसे किसान आंदोलन नाम दे दिया गया। जबकि हकीकत में इन कानूनों से किसानों के साथ व्यापारी, मजदूर तथा अन्य वर्ग जो कृषि से जुड़ा हुआ है, वह प्रभावित होगा। इस वजह से सभी वर्गों को साथ लेकर इन कानूनों को रद्द करवाने के लिए लगातार  आंदोलन किया जा रहा है। यह विचार गांव मक्कासर के गवाड़ में आयोजित किसान सभा में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेताओं ने व्यक्त किए। किसान नेता जगजीतसिंह दल्लेवाल ने कहा कि किसान पिछले दस माह से नई दिल्ली की बॉर्डर पर केन्द्र के बनाए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर आंदोलनरत है। किसान लगातार केन्द्र सरकार को कानूनों से होने वाले नुकसानों की जानकारी देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग कर रही है। लेकिन सरकार सुनवाई नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि भावी पीढिय़ों को कृषि कानूनों के नुकसान से बचाने के लिए अभी से आंदोलन का हिस्सा बने तथा प्रत्येक गांव के ग्रामीणों को कृषि कानून के नुकसान की जानकारी देकर आंदोलन से जोड़ें। उन्होंने तीनों कृषि कानूनों की विस्तृत व्याख्या कर उनसे होने वाले नुकसान की जानकारी दी तथा किसानों की शंकाओं का समाधान किया। इस दौरान किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि कृषि कानूनों के कारण किसान कौम जो पहले बिखरी हुई थी, आज वह अपने हितों के लिए एकजुट हुई है। उन्होंने खेती व किसानी को बचाने के लिए सभी से सहयोग का आग्रह किया। जिला परिषद डायरेक्टर मनीष मक्कासर ने सभा में किसानों से 27 सित्बर को प्रस्तावित भारत बंद में सहयोग का आग्रह किया गया। साथ ही किसानों से नई दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में पहुंचकर सहयोग देने की अपील भी की गई। इस मौके पर ओम जांगु, हर्षवर्धन झींझा, रमेश भादू, अवतार सिंह, इन्द्रजीत पन्नीवाला, कौर सिंह, रूलदु सिंह, डबली सरपंच गुरजंट चोटिया, सरपंच संदीप सहजीपुरा, फतेहगढ़ सरपंच गुरप्रीत सिंह, 30 एसएसडब्लयु सरपंच पंछीप सिंह, पूर्व सरपंच ओमप्रकाश गोदारा, सुभाष गोदारा, अमरजीत गोदारा, भूप जैलदार, महेन्द्र चाहर, मदन स्याग, बलजीत मलकोका, सुखराम सैंसी, गुरलाल मान, गुरलाल सिद्धु, बहलोलनगर सरपंच गुरलाल सिंह, लालचंद लम्बडदार, सुखा नेहरा, ठकरराम गोदारा, रामेश्वर चांवरिया, शैलेन्द्र मेघवाल व अन्य किसान मौजूद थे।

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