वैलेंटाइन डे भले ही मत मनाओं लेकिन गलत इतिहास मत बताओं

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सोशल मीडिया से: बड़ी अजीब बात है। सोशल मीडिया पर वैलेंटाइन डे के साथ भगत सिंह भी ट्रेंड कर रहे हैं। कुछ महानुभावों ने अपने अधकचरे ज्ञान के कारण सोशल मीडिया पर एक अफवाह फैला दी कि आज के दिन देश के इस वीरपुत्र को फांसी दी गई थी, और लोग आज के दिन शहीद-ए-आजम को याद करने के बजाय वैलेंटाइन डे मना रहे हैं
सोचो अगर आपके फर्जी ज्ञान को पढ़ कर कल किसी ने प्रतियोगिता परीक्षा में कोई युवा भगत सिंह जी को फांसी सुनाने की तिथि 14 फरवरी लिख आया तो..ये इतिहास के साथ छेड़छाड के साथ शहीदों का भी अपमान है। इसलिए लोगों से अपील है कि किसी भी चीज या मुद्दे को तब तक वायरल ना करें जब तक कि आपको उसकी पुख्ता जानकारी ना मिलें वरना अधकचरा ज्ञान आपके लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। नई पीढ़ी वैसे भी इतिहास से परिचित नहीं है ऐसे में उनका इंटरनेट पर इस तरह कटेंट मिलना भ्रमित कर सकता है। 
खास बातें
-6 जून 1929 को भगत सिंह ने अपने विचार जज के सामने रखते हुए क्रान्ति और आजादी की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
-26 मई 1930 को उन्हें अंग्रेजो ने दोषी करार दिया
-भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ट्रिब्यूनल कोर्ट ने 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनायी थी।
-तीन शहीदों के अलावा उनके 12 साथ‍ियों को भी उम्रकैद की सजा दी गई थी।
-24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी लेकिन ऐन वक्त पर आदेश में परिवर्तन हुआ।

-और उसके बाद तीनों पुत्रों को 23 मार्च 1931 को शाम 7:30 बजे फांसी दे दी गई।

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की जिंदगी में 14 फरवरी का महत्व बस इतना है कि प्रिविसी काउंसिल द्वारा अपील खारिज किए जाने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय ने 14 फरवरी 1931 को लॉर्ड इरविन के समक्ष दया याचिका दाखिल की थी। जिसे बाद में खारिज कर दिया गया।वैलेंटाइन डे का विरोध करने वाले कम से कम देश के शूरवीरों से जुड़े तथ्यों को लेकर युवाओं को गुमराह न करें। ये इतने संवेदनशील मुद्दे हैं, कि इनसे हजारों लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं।

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