Alert: कश्मीर में बेडरूम जिहादी एक्टिव, अमरनाथ यात्रा के दौरान हो सकते हैं दंगे

26 अप्रैल को 22 सोशल साइट्स पर बैन लगा दिया था। इनमें फेसबुक, वॉट्सऐप और ट्विटर भी शामिल था। लेकिन बाद में कई यूजर्स ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। वे अब वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क्स (VPN) का इस्तेमाल करने लगे हैं।

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श्रीनगर: कश्मीर में तनाव पहले ही कम नहीं हो रहा कि एक और मुसीबत आ गई। सिक्युरिटी एजेंसियों के मुताबिक इन दिनों घाटी में चल रहे तनाव को पत्थरबाजों से ज्यादा सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों से खतरा बढ़ रहा है।राज्य पुलिस की साइबर शाखा में तैनात वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम इन्हें बेडरूम जिहादी कहते हैं, क्योंकि यह लोग आम आतंकियों या पत्थरबाजों की तरह गली-बाजारों में, जंगलों में सुरक्षाबलों से नहीं उलझते और न बम धमाके कर किसी की जान लेते हैं।

यह किसी पार्क में, रेस्त्रां में, अपने घर में टीवी के सामने बैठ, किसी बाजार में घूमते हुए किसी से बतियाते हुए अपने एजेंडे को पूरा कर लेते हैं। अपने मकसद को पूरा करने लिए इन्हें इंटरनेट की सुविधा के साथ-साथ कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल फोन ही चाहिए।

राज्य पुलिस के अनुसार, जरूरी नहीं कि साइबर व‌र्ल्ड में सोशल मीडिया की विभिन्न साइटों पर सक्रिय राष्ट्रविरोधी और शरारती तत्वों का किसी संगठन विशेष से नाता हो। यह किसी भी जगह किसी भी समय माहौल को बिगाड़ने में ज्यादा देर नहीं लगाते और इसके लिए सोशल मीडिया इनका सबसे बड़ा हथियार है। यह किसी भी घटना के तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर चंद मिनटों में दुनियाभर में अफवाहें फैला कोहराम मचा सकते हैं

अमरनाथ यात्रा को लेकर ज्यादा चिंता
– सिक्युरिटी एजेंसियां 29 जून से शुरू होने वाली और 40 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा को लेकर चिंतित हैं। इस बात की आशंका है कि यात्रा से पहले या उसके दौरान वॉट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर के जरिये नए जिहादियों का ग्रुप घाटी में साम्प्रदायिक दंगे भड़का सकता है।
– एक सीनियर पुलिस अफसर ने कहा, “ये एक वर्चुअल बैटलग्राउंड है, जहां शब्दों को हथियार बनाकर युद्ध लड़ा जाता है। यंग माइंड्स पर इसका असर पड़ता है। सोफे या बेड पर बैठा कोई भी शख्स हजारों चैट ग्रुप्स में कोई खबर प्लांट कर सकता है जिससे पूरा राज्य साम्प्रदायिक दंगों की चपेट में आ सकता है।”
जम्मू हो सकता है अफवाहों का शिकार
– कई अफसर यह महसूस करते हैं कि जम्मू अगले कुछ दिनों में अफवाहों का शिकार हो सकता है और अथॉरिटीज के पास इससे निपटने के लिए बेहद कम वक्त है। सोशल चैट ग्रुप्स सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही एक्टिव नहीं हैं। ये दिल्ली, देश के बाकी हिस्सों और यहां तक कि विदेशों से भी राज्य के लोगों से कॉन्टैक्ट में हैं।
– अफसर हाल की एक घटना का एग्जाम्पल देते हुए बताते हैं कि छिपे हुए दुश्मन से निपटना कितना मुश्किल है। वे कहते हैं कि कश्मीरी पंडित कम्युनिटी का एक कॉन्स्टेबल लापता हो गया था। उसकी बॉडी नॉर्थ कश्मीर के कुपवाड़ा में बरामद हुई थी। इस मामले में जांच शुरू होने से पहले ही कम्युनिटी के लोगों ने सोशल मीडिया पर यह पोस्ट कर दिया कि कॉन्स्टेबल को आतंकियों ने किडनैप किया था और वह शहीद हुआ है। लेकिन बाद में एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि कॉन्स्टेबल के एक साथी ने ही उसका मर्डर किया था।
यूजर्स कर रहे VPN का इस्तेमाल
– केंद्र के कहने पर महबू्बा सरकार ने राज्य में 26 अप्रैल को 22 सोशल साइट्स पर बैन लगा दिया था। इनमें फेसबुक, वॉट्सऐप और ट्विटर भी शामिल था। 3G और 4G नेटवर्क बंद होने के चलते लोग पिक्चर्स और वीडियो नहीं शेयर कर पा रहे थे। इससे हिंसा और पत्थरबाजी में कमी आई थी, लेकिन बाद में कई यूजर्स ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। वे अब वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क्स (VPN) का इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके जरिए लोग आसानी से बैन वेबसाइट्स को एक्सेस कर रहे हैं।
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