Bangladesh: बांग्लादेश में 32 हिंदुओं का मर्डर, 13 से रेप, 133 मंदिरों पर हमले

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बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बांग्लादेश में लंबे छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ। हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके साथ ही बांग्लादेश में हालात भी बिगड़ गए। पुलिस रातों-रात अंडरग्राउंड हो गई। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त हो गया। हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें

बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिसमें दावा किया गया है कि पिछले 5 महीनों में 32 हिंदुओं की हत्या, 13 महिलाओं के साथ बलात्कार और 133 मंदिरों पर हमले हुए हैं। ये आंकड़े बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लिए गहराती चिंताओं को दर्शाते हैं।

ये रिपोर्ट बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल ने तैयार की है। इसे बनाने में काउंसिल के महासचिव मुनींद्र कुमार नाथ का अहम रोल रहा। वे कहते हैं, ‘बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान 4 अगस्त से 8 अगस्त के बीच अल्पसंख्यकों पर जबरदस्त हमले हुए। हमने इनका डेटा दो हिस्सों में तैयार किया है।’

’पहला हिस्सा 4 अगस्त से लेकर 20 अगस्त 2024 के उन 15 दिनों का है, जब सांप्रदायिक घटनाएं चरम पर थीं। देश में पुलिस सिस्टम काम नहीं कर रहा था।’ ’रिपोर्ट के दूसरे हिस्से में 20 अगस्त से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुई घटनाएं हैं। ये रिपोर्ट तख्तापलट के बाद उस वक्त की है, जब नई अंतरिम सरकार सत्ता संभाल चुकी थी। उनके दौर में भी सांप्रदायिक हमलों का सिलसिला जारी रहा।’

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हमलों में अचानक वृद्धि क्यों हुई?

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय लंबे समय से भेदभाव और हमलों का शिकार होता रहा है। लेकिन हाल के महीनों में इस हिंसा में तेजी आई है। हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें

  1. राजनीतिक अस्थिरता: 2024 के अंत में हुए आम चुनावों के बाद से बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव बढ़ा है। कट्टरपंथी संगठनों ने इस स्थिति का फायदा उठाकर हिंदू समुदाय को निशाना बनाया।
  2. मजहबी कट्टरता: बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों की सक्रियता बढ़ी है, जो अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं।
  3. प्रशासनिक उदासीनता: पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण अपराधियों को खुली छूट मिल रही है।

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रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद द्वारा जारी रिपोर्ट में निम्नलिखित तथ्य सामने आए हैं:

  • 32 हिंदुओं की हत्या: इनमें से अधिकांश घटनाएं सामूहिक हमलों या व्यक्तिगत हिंसा के कारण हुईं।
  • 13 हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार: इनमें से कुछ मामलों में पीड़िताओं की हत्या भी कर दी गई।
  • 133 मंदिरों पर हमले: मंदिरों को तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचाया गया, मूर्तियां खंडित की गईं और आगजनी की घटनाएं हुईं। हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें
  • अल्पसंख्यक परिवारों पर हमले: हजारों हिंदू परिवारों के घर और व्यवसाय लूटे गए या जला दिए गए।

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प्रमुख घटनाएं जो चिंता का विषय बनीं
  1. ढाका के पास एक मंदिर में हमला: कट्टरपंथियों ने मंदिर में तोड़फोड़ की और हिंदू श्रद्धालुओं को पीटा।
  2. चटगांव में हिंदू परिवारों पर हमला: कुछ घरों को आग के हवाले कर दिया गया।
  3. खुलना में महिला के साथ बलात्कार और हत्या: इस घटना ने पूरे हिंदू समुदाय को झकझोर दिया।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन चिंतित हैं।

  • अमेरिकी हिंदू संगठनों ने बांग्लादेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है।
  • भारत सरकार ने भी इस मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के समक्ष उठाया है।

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बांग्लादेश सरकार का रुख

बांग्लादेश सरकार ने आधिकारिक तौर पर इन घटनाओं की निंदा की है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। कई मामलों में दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, जिससे अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। आपको बता दें, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण कट्टरपंथी संगठनों के हौसले बुलंद हैं। यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह हिंसा और भी गंभीर रूप ले सकती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मामले में हस्तक्षेप कर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें

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