Ayodhya Ram Mandir History: 1528 से 2024 तक की कहानी…कुछ ऐसे बना राममंदिर…

22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.विग्रह की आंखों से पट्टी हटायी जाएगी और उन्हें दर्पण दिखाया जाएगा। मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति उनके बाल रूप की है।

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Ayodhya Ram Mandir History Hindi: राम मंदिर अयोध्या की धरती पर प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार है। अयोध्या का धार्मिक इतिहास तो हमने रामायण में पढ़ा है, लेकिन इसके इतिहास का एक पन्ना विवादित भी है। हम बात कर रहे हैं बाबरी मस्जिद और इससे जुड़ी घटनाओं की। इस वक्त पूरा भारत श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर खुशियों में सराबोर है। ऐसे में क्यों ना इतिहास के गलियारों में एक बार घूम लिया जाए।

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अयोध्या नगरी कितनी पुरानी है क्या आपको इसका अंदाजा है? भारतीय वेदों और शास्त्रों में भी अयोध्या का जिक्र मिलता है। अथर्ववेद में भी इस नगरी का साक्ष्य मिलता है। हमारी मान्यताओं में अयोध्या नगरी हमेशा से ही श्री राम की जन्मभूमि रही है।

राम मंदिर का इतिहास
बताया जाता है भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने अयोध्या में उनका मंदिर बनवाया था। अकेले अयोध्या में सीताराम के 3000 मंदिर थे। इतिहासकार बताते हैं, 5वीं शताब्दी में इनमें से कई मंदिरों की हालत खराब होने लगी थी। उसी दौरान उज्जैन के राजा विक्रमादित्य अयोध्या आए और उन्होंने मंदिरों को ठीक करवाया। फिर कई सालों तक मंदिर ठीक रहे।

अयोध्या साल 1528 
साल 1528 में जब बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाया। इस मस्जिद को मुगल काल की एक महत्वपूर्ण मस्जिद माना जाता था। वैसे बाबरी मस्जिद का मॉर्डन दस्तावेजों में भी जिक्र है, जैसे साल 1932 में छपी किताब ‘अयोध्या: ए हिस्ट्री’ में भी बताया गया है कि मीर बाकी को बाबर ने ही हुक्म दिया था कि अयोध्या में राम जन्मभूमि है और यहां के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाना होगा।

यूरोपियन ज्योग्रफर जोसेफ टिफेनथेलर 1766 से 1771 के बीच इसी स्थान पर थे. उन्होंने अपनी लिखी किताब डिस्क्रिप्टियो इंडिया में यहां राम चबूतरा होने की बात कही है।

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1813 में पहली हिंदू संगठनों ने दावा किया कि बाबर ने राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया। यहां से ये मामला फिर उठने लगा। उस वक्त देश पर अंग्रेजों का शासन था। 1853 में पहली बार यहां सांप्रदायिक हिंसा हुई। विवाद बढ़ता देख 1859 में अंग्रेजों ने विवादित वाली जगह के आसपास बाड़ लगवा दी।

1885 में मामला अदालत पहुंचा
1885 में पहली बार मामला अदालत में पहुंचा। महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में राम चबूतरे पर मंदिर बनाने की याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। 1949 में मस्जिद के भीतर भगवान की एक मूर्ति मिली। हिंदू पक्ष ने भगवान राम के प्रकट होने का दावा किया तो मुस्लिम पक्ष ने कहा कि हिंदुओं ने चुपके से मूर्तियां अंदर रख दीं। दोनों पक्षों ने एकदूसरे पर केस कर किया। उधर प्रशासन इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।

1950 में गोपाल सिंह विशारद ने याचिका दायर कर राम चबूतरे पर पूजा की अनुमति मांगी। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने कब्जे के लिए तीसरी अर्जी दाखिल की। 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर करते हुए मस्जिद की जमीन पर अपना दावा किया। 1986 में जिला अदालत ने विवादित ढांचा का दरवाजा खोलने और दर्शन की इजाजत दी। 1989 में विश्व हिंदू परिषद ने विवादित जमीन पर राम मंदिर का शिलान्यास किया और पहला पत्थर रखा।

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गिराया गया बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा
विश्व हिंदू परिषद ने विवादित जमीन पर मस्जिद की जगह राम मंदिर बनाने का आंदोलन पहले ही शुरू कर दिया था। 90 के दशक में राम मंदिर का मुद्दा ही राजनेताओं के लिए सर्वोपरि था। 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी ने मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा निकाली। ये आक्रोश इतना ज्यादा बढ़ गया था कि 1992 में वीएचपी समेत तमाम हिंदू संगठनों ने मिलकर विवादित ढांचा गिरा दिया।

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दंगों में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए
इसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। दंगों में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए। केस दर्ज हुआ और 49 लोग आरोपी बनाए गए। लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, चंपत राय, कमलेश त्रिपाठी समेत तमाम बीजेपी और विहिप नेताओं को आरोपी बनाया गया। 28 साल बाद कोर्ट ने सबूत के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। फैसले के वक्त 17 आरोपियों का निधन हो गया था।

10 साल बाद 2002
विवादित ढांचा गिराए जाने के 10 साल बाद 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन पर मालिकाना हक के लिए सुनवाई शुरू की। 2010 में हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। 2011 में हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

2019 राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया
2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. मुस्लिमों को अलग से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया. इसके बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया।

22 जनवरी 2024 मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा
22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.विग्रह की आंखों से पट्टी हटायी जाएगी और उन्हें दर्पण दिखाया जाएगा। मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति उनके बाल रूप की है।

 

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