राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर 7 साल बाद SC में आज से शुरू हो सकती सुनवाई

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लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या भूमि विवाद को लेकर शुक्रवार से सुनवाई शुरू हो सकती है। दोपहर 2 बजे जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की स्पेशल बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 में आए फैसले के बाद, पिछले करीब 7 साल से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।

उधर, इस मामले से जुड़े कुछ पक्षकारों का कहना है कि कोर्ट में पेश करने के लिए अभी दस्तावेज तैयार नहीं हुए है, उनका ट्रांसलेशन बाकी है। ऐसे में कोर्ट सुनवाई की कोई नई तारीख भी तय कर सकता है। माना जा रहा है कि शुक्रवार को कोर्ट इस पेचीदा मसले में सुनवाई के दायरे तय कर सकता है।

आपको बता दें राम मंदिर मुद्दे ने 1989 के बाद तूल पकड़ा। इस मुद्दे की वजह से तब देश में सांप्रदायिक तनाव फैला था। देश की राजनीति इस मुद्दे से प्रभावित होती रही है। हिंदू संगठनों का दावा है कि अयोध्या में भगवान राम की जन्मस्थली पर विवादित बाबरी ढांचा बना था। राम मंदिर आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचा गिरा दिया गया था। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या दिया था फैसला?
30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सुधीर अग्रवाल, एसयू खान और डीवी शर्मा की बेंच ने मंदिर मुद्दे पर अपना फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। बेंच ने तय किया था कि जिस जगह पर रामलला की मूर्ति है, उसे रामलला विराजमान को दे दिया जाए। राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह निर्मोही अखाड़े को दे दी जाए। बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए।

SC में मामला क्यों पहुंचा?
– इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या की विवादित जमीन पर दावा जताते हुए रामलला विराजमान की तरफ से हिन्दू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की।
– दूसरी तरफ, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद कई और पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशंस दायर कर दी।
– इन सभी पिटीशंस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2011 को हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। तब से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।

केस से जुड़े अलग भाषाओं के कागजात
केस से जुड़े हजारों कागजात सुप्रीम कोर्ट में जमा किए गए हैं। इनमें अरबी, फारसी और संस्कृत में भी कागजात शामिल हैं। इनका ट्रांसलेशन भी किया जाना है। कागजात के डिजिटलाइजेशन में भी लंबा वक्त लगता है।
शिया वक्फ बोर्ड ने पेशकश- विवादित जगह बने मंदिर
उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी की ओर से मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट दायर किया है। इसमें विवादित जगह पर राम मंदिर और इससे कुछ दूरी पर मस्जिद बनाने की पेशकश की गई है।
उनका कहना है कि विवादित ढांचे पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा गलत है। यह मस्जिद मीर बकी ने बनवाई थी। वह शिया था।
उन्होंने कहा कि जितने भी मुतवल्ली रहे, सब शिया बोर्ड से ही रहे हैं। यह ऐतिहासिक तथ्य है। बाबर तो कभी अयोध्या गया ही नहीं। बाबर पर लिखी गई किताब बाबरनामा में भी ऐसा कोई जिक्र नहीं है।
रिजवी ने कहा कि मस्जिद पर शियाओं का हक है। इससे जुड़े फैसले भी शिया बोर्ड ही लेगा। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पार्टी बनाना गलत है।
विवाद शांति से निपटाने के लिए शिया वक्फ बोर्ड तैयार है। इसके के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुआई में हाईलेवल कमेटी बनाई जाए। विवादित जगह पर मंदिर बने। मस्जिद के लिए मुस्लिम बहुल इलाके में कहीं जगह दी जाए।
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी को एतराज
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के जफरयाब जिलानी ने शिया वक्फ बोर्ड को ज्यादा अहमियत देने से इनकार कर दिया। जिलानी ने कहा- ये सिर्फ अपील है और इस एफिडेविट का कानून में कोई महत्व नहीं है।
वहीं, बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि मेरे हिसाब से शिया वक्फ बोर्ड ने एक अच्छा मैसेज दिया है।

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