अगर अदालत की बात करे तो आपको फिल्मों वाले वकील और जज आपकी नज़र के सामने आते हैं, परन्तु जब ये बहस भारत के दो जाने माने वकिलों के बीच में हो तो सीन देखने लायक होगा । वैसे तो देश भर की अदालतों में ये बहस चलती रहती है , लेकिन सोमवार को यहां एक मजेदार जिरह हुई। इस जिरह के दौरान कठघरे में थे वित्त मंत्री अरुण जेटली, और उनसे सवाल जवाब कर रहे थे देश के मशहूर वकील राम जेठमलानी।
जी हाँ आपको बता दे कि ये रजत शर्मा की आप की अदालत नहीं थी और न ही किसी न्यूज़ चैनेल का चलाया कोई आप की अदालत जैसा कार्यक्रम नहीं था । ये मामला था दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा अरुण जेटली पर लगाये गये मानहानि के आरोप का। इस केस में राम जेठमलानी अरविंद केजरीवाल की ओर से पैरवी कर रहे थे। घंटों तक चली इस बहस में वित्त मंत्री अरुण जेटली को राम जेठमलानी के तीक्ष्ण सवालों का सामना करना पड़ा । जेठमलानी ने मंगलवार को भी जेटली पर निशाना साधा और जिरह के दौरान तंज कसते हुए कहा कि जो नेता अपना चुनाव भी हार गया हो उसकी क्या इज्जत ?
सोमवार को अरुण जेटली केजरीवाल के खिलाफ मानहानि मुकदमे में अपना पक्ष रखते हुए कई बार भावुक हुए । मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी ने 52 सवाल पूछे. इस दौरान उन्होंने जमकर जेटली पर तंज भी कसा. जेटली ने कहा- मैंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कभी भी राजनीतिक आलोचना को लेकर कुछ भी नहीं कहा, लेकिन इस बार मुझे कोर्ट आकर मानहानि का केस करना पड़ा क्योंकि इस बार मेरी निष्ठा और सच्चाई पर सवाल खड़े किए गए । इस पर केजरीवाल के वकील ने कहा- अच्छा, आप खुद को इतना महान समझते हैं.
जेटली से पूछे गए 52 सवाल
सोमवार को खचाखच भरी अदालत में जेठमलानी ने जेटली पर 52 सवाल दागे। केजरीवाल के वकील यह साबित करने में लगे थे कि यह मामला महत्वहीन है. हालांकि, राम जेठमलानी के 11 सवालों को कोर्ट ने खारिज कर दिया. जेटली और जेठमलानी के बीच हुए सवाल-जवाब में दोनों तरफ के वकीलों के बीच में कई बार तीखी नोक-झोक भी हुई. जिसके बाद कोर्ट रजिस्ट्रार के बीच-बचाव के बाद दोनों पक्षों को मुश्किल से शांत कराया गया.
जेटली से सवाल-जवाब
जेटली के वकील : हमारे क्लाइंट के खिलाफ मीडिया में आरोप लगाए और संसद में भी सवाल उठाए। इससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ। प्रतिष्ठा के इस नुकसान की भरपाई संभव नहीं है।
जेठमलानी: यह कैसे तय किया कि भरपाई आर्थिक रूप से हो सकती है ? और मानहानि 10 करोड़ की ही है ?
जेटली : मानहानि की भरपाई आर्थिक तौर पर नहीं हो सकती है। परिवार, समाज में मेरा जो महत्व है, उसके आधार पर 10 करोड़ का दावा ठोका।
जेटमलानी: कहीं मामला खुद को महान समझने का तो नहीं ? साख और प्रतिष्ठा में क्या अंतर है? ठग भी अगर कुछ लोगों को थोड़ा दान दे तो उनके बीच उसकी साख होगी। आपकी याचिका का कोई तर्कसंगत कारण नजर नहीं आता, सिवाय इसके कि आप खुद अपने बारे में यह सोचते हैं।
जेटली: प्रतिष्ठा के नुकसान की मैंने जो कीमत लगाई है, वह मुझे हुई बड़ी क्षति का बहुत छोटा हिस्सा है।
जेठमलानी: यानी आप मानते हैं कि आप इतने महान हैं कि इसे आर्थिक तौर पर नहीं माप सकते हैं?
जेटली: मेरे खिलाफ लगातार अभियान चलाया। इसे रोकना जरूरी था। इसीलिए केस किया। (भावुक होते हुए) अपने राजनीतिक कॅरियर में कभी भी मैंने राजनीतिक आलोचना पर कुछ नहीं कहा। लेकिन इस बार केस करना पड़ा, क्योंकि मेरी सच्चाई और निष्ठा पर सवाल उठे हैं। मैं 1977 से वकालत कर रहा हूं। राज्यसभा में नेता विपक्ष रहा हूं।
आज मंगलवार को भी ऐसा ही देखने को मिला, आज 19 सवाल दागे गए जो इस प्रकार है –
जेठमलानी : आपको केजरीवाल से कोई दुश्मनी नहीं है?
जेटली: मुझे कोई निजी दुश्मनी नहीं है लेकिन मुझे उनका नहीं पता. एक बार वो डीडीसीए का प्रेजीडेंट का चुनाव लड़े और हार गए । यहां तक कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने मेरे खिलाफ जमकर प्रचार किया ।
जेठमलानी: आप अमृतसर चुनाव की बात कर रहे हैं ? क्या ये सही नहीं कि पहली बार आप गुजरात के अलावा कहीं और से चुनाव लड़ना चाहते थे?
जेटली: हां
राम: आप अमृतसर से चुनाव लड़ रहे थे तो भी गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे?
जेटली: हां
राम: क्या ये आपका पहला लोकसभा चुनाव था?
जेटली : हां मैं पहली बार लड़ा था ।
जेठमलानी: क्या आपको लोकसभा चुनाव में मोदी ने उम्मीदवार बनाया था? आप पहली बार लोकतंत्र के पैमाने पर अपनी महान प्रतिष्ठा को आंक रहे थे?
जेटली: जी हां, किसी भी चुनाव का नतीजा उस इलाके के कई कारणों पर निर्भर करता है । जरुरी नहीं ये किसी प्रत्याशी के सम्मान की परख हो, केजरीवाल भी उसी चुनाव में वाराणसी से करीब 3.5 लाख वोटों से हारे थे ।
जेठमलानी: क्या ये सही है कि आप एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव हारे?
जेटली : जी हां ।
जेठमलानी: उस वक्त राज्यसभा में आपके 2 साल बाकी थे?
जेटली : राज्यसभा के कार्यकाल में चार साल बचे थे ।
जेठमलानी: क्या कोई खास वजह है कि पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने आपके खिलाफ संगीन आरोप लगाए हैं?
जेटली: उनके आरोप एसोसिएशन (डीडीसीए) से जुड़े हैं, बतौर अध्यक्ष मैंने बेदी को चीफ कोच बनाया था । उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद भी मैं नरमी से पेश आता रहा । जब तक प्रधानमंत्री ने शपथ ली, तब तक मैं बीसीसीआई और डीडीसीए से नाता तोड़ चुका था ।
जेठमलानी: क्या ये सच नहीं है कि बतौर संरक्षक भी आप डीडीसीए और बीसीसीआई की बैठकों में जाते रहे?
जेटली: मुझे ऐसी सिर्फ एक मीटिंग की याद है ।
(जेठमलानी जेटली को एक चिट्ठी देते हैं)
जेठमलानी: क्या इस चिट्ठी में ऐसा कुछ है जिसे पढ़कर आप इतना गुस्सा हो जाएं कि मेरे खिलाफ कार्रवाई के लिए मजबूर हों?
जज: आप सिर्फ सवाल पूछें. चिट्ठी जेटली को देने पर अदालत फैसला करेगी ।
जेठमलानी: क्या पीएम जानते थे कि आप चिट्ठी में लगे आरोपों से हुई मानहानि पर एक्शन लेंगे?
जेटली: ये चिट्ठी जनवरी 2014 की है जबकि मैंने कानूनी कार्रवाई दिसंबर 2015 में की. मैं 2014 में सूचना प्रसारण विभाग का प्रभारी बना । मई 2014 में मैं प्रभारी नहीं था । अब मैं फाइनेंस एंड कोरपोरेट अफेयर्स विभाग में मंत्री हूं ।
जेठमलानी: क्या प्रधानमंत्री ने ये चिट्ठी आपको दिखाई थी? क्या आप पढ़कर बता सकते हैं कि इसमें क्या झूठ लिखा है?
(जेटली के वकील ऐतराज करते हैं)
जेटली: अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद भी मैंने चिट्ठी में लगाए आरोपों का खंडन किया था । मैंने वित्त मंत्री या सांसद रहते हुए कभी भी मंत्रालय या दस्तावेजों का सहारा नहीं लिया । मेरे सामने संसद में कभी भी डीडीसीए से जुड़ा सवाल नहीं आया । पद के साथ हितों के टकराव का सवाल नहीं उठता क्योंकि मैं उस वक्त तक डीडीसीए को छोड़ चुका था ।
जेठमलानी : मैंने ये नहीं पूछा कि आपने लैटर के बाद क्या किया?
जेटली : मैंने साफ जवाब दिया है कि मैं चिट्ठी मे लिखी बातों से इनकार करता हूँ ।
जेठमलानी: क्या आप जानते हैं कि पत्रकार मधु किश्वर ने आपके परिवार पर डीडीसीए से जुड़े होने का आरोप लगाया था?
जेटली : मैं नहीं जानता उन्होंने कब ऐसा कहा ।
जेठमलानी: उनका बयान दिसंबर 2015 में आया था. केजरीवाल ने इन आरोपों को सिर्फ रिट्वीट किया था ।
जेटली: केजरीवाल ने मुझे झूठ के सहारे बदनाम करने का संगीन काम किया है । मेरी पत्नी और बेटी पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने सार्वजनिक बहस का स्तर गिराया । सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग आरोप लगाते रहते है, लेकिन अगर एक मुख्यमंत्री उनका समर्थन करें तो ये गंभीर बात है ।
क्या है मामला ?
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अरुण जेटली पर बतौर दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के अध्यक्ष रहते घोटाले के आरोप लगाये थे। जेटली 13 सालों तक (डीडीसीए) के अध्यक्ष थे। उन्होंने केजरीवाल के आरोपों को अदालत में चुनौती दी और 10 करोड़ रुपये का मानहानि का दावा किया था, इसके अलावा उन्होंने पटियाला हाउस कोर्ट में इसी मामले में आपराधिक मानहानि का मामला भी दर्ज करवाया है। केजरीवाल की ओर से इसी मुकदमे की पैरवी देश के वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी कर रहे हैं।
बेहद नाटकीय रही जिरह
जेटली के साथ हुई जिरह बेहद नाटकीय रही। दोनों ही पक्षों के वकीलों ने कई सवालों और जवाबों का विरोध किया। जेटली के वकीलों – वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर, संदीप सेठी और प्रतिभा एम सिंह ने इनमे से कुछ को बदनाम करने वाला बताया।
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