समय पर अस्‍पताल न पहुंच पाई तो आदिवासी महिला ने ब्‍लेड से चीरी अपनी कोख…

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आंध्र प्रदेश: मारेडुमिली गर्भवती महिला समय से अस्पताल नहीं पहुंच सकी तो उसने अपने बच्चे की डिलीवरी के लिए अपनी कोख को ब्लेड से चीर दिया। यह घटना 23 दिसंबर को ईस्ट गोदावरी जिले में घटित हुई। इस घटना ने क्षेत्र की मेडिकल सेवाओं को उजागर किया है। डेक्कन क्रॉनिकल ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि आदिवासी महिला का नाम लक्ष्मी (50 साल) है और पति सीथाना डोरा ने मेरडुमिली मंडल में अपने गांव किंतुकुरू से 10 किमी दूर रामपचोदवरम के सरकारी अस्पताल में जाने के लिए पैदल चलना शुरू किया।

एम्बुलेंस मिलने के लिए उन्हें घाटों और पहाड़ियों को पैदल ही पार करना होता है। रास्ते में ही उसकी प्रसव पीड़ा काफी बढ़ गई और वह ब्लेड का उपयोग करके बच्चे को जन्म देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था। बाद में लक्ष्मी के पति ने स्थानीय लोगों की मदद से 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया और मिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

मेडिकल ऑफिसर डॉ गोथम जोगी ने कहा कि यह महिला की पांचवी डिलीवरी है। हम बच्चे और मां को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई है। हमने महिला और उसके रिश्तेदारों को कुछ दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने की सलाह दी थी लेकिन, वह अस्पताल से चले गए थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी लोग डिलीवरी के 10 दिन पहले आने को कहते है तो उनके लिए खाने और कमरे की व्यवस्था की जाती है। आरोप है कि स्वास्थ्य वर्कर लक्ष्मी को डिलीवरी के लिए अस्पताल लाने में फेल रहे।

जिला मेडिकल और हेल्थ ऑफिस डॉक्टर के चंदरिहा ने कहा कि आदिवासियों में इस तरह की डिलीवरी आम बात है। स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों से कहा गया है कि वह आदिवासियों को सुरक्षित डिलीवरी के प्रति जागरुक करें। इस मामले में जांच की जा रही है। गौरतलब है कि मेडिकल अनदेखी के कई मामले लगातार सामने आते रहे हैं। कुछ महीने पहले ओडिशा में दाना मांझी नाम एक शख्स को एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण पत्नी के शव को कंधे पर रखकर पैदल जाते हुए देखा गया था।