किसानों पर कार्रवाई के विरोध में आक्रोश, न्याय की मांग

25

हनुमानगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर में किसानों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। मोर्चे ने पंजाब सरकार द्वारा किसानों पर की गई कार्रवाई की कड़ी निंदा की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि फरवरी 2024 से किसान शंभू और खन्नौरी बॉर्डर पर शांतिपूर्वक धरना दे रहे थे। उनकी मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी कानून बनाने की थी। इसके अलावा, अन्य मांगों को लेकर भी किसान सरकार से संवाद कर रहे थे।
19 मार्च 2025 को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और अधिकारियों के साथ किसान नेताओं की बैठक सकारात्मक माहौल में हुई। सरकार ने आगे की वार्ता के लिए तारीख भी निर्धारित की, जिससे किसानों को उम्मीद जगी कि उनकी समस्याओं का जल्द समाधान होगा।
हालांकि, बैठक के कुछ ही घंटे बाद पंजाब सरकार ने किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद शंभू और खन्नौरी बॉर्डर पर बैठे किसानों को भी जबरन हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने टेंट उखाड़ दिए और किसानों के ट्रैक्टरों और अन्य साधनों को नुकसान पहुंचाया। मोर्चा का आरोप है कि इस दौरान स्थानीय असामाजिक तत्वों को भी किसानों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे विश्वासघात बताते हुए कहा कि जब सरकार बातचीत के माध्यम से समाधान की ओर बढ़ रही थी, तब इस तरह की कार्रवाई करना लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ किया गया दुर्व्यवहार निंदनीय है और इस घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दी जानी चाहिए।
किसानों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन तेज करेंगे। मोर्चे ने केंद्र सरकार से एमएसपी पर गारंटी कानून सहित सभी लंबित मांगों को तत्काल मानने की अपील की है।
राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन में किसानों ने कहा कि वे न्याय की उम्मीद रखते हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।