शव पर सियासत: वसुंधरा सरकार के लिए गले की हड्डी बना आनंदपाल सिंह एनकाउंटर

आनंदपाल फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाला पढ़ा लिखा लॉ ग्रेजुएट था। लेकिन चुनाव में पूर्वमंत्री हरजीरां बुरड़क के बेटे से दो वोटों से हारने के बाद आनंदपाल अपराध की दुनिया में उतर आया था।

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राजस्थान: गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर को एक तरह वोट बैंक समझ रही वसुंधरा सरकार जनता से वाहवाही लूटने का सपना संजोने में लगी हुई थी। तो दूसरी और राजपूत समाज का बढ़ता विरोध राज्य सरकार के लिए  गले की फांस बन चुका है। एनकाउंटर को आधार बना सत्ता में लौटने का सपना देख रही कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को भुनाने में जुट गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घनश्याम तिवाड़ी और अशोक गहलोत ने पूछा है कि जब एनकाउंटर असली है तो सरकार सीबीआई जांच से क्यों कतरा रही है। जहां तक सरकारी समीकरण समझ आता है तो वो ये हैं कि आनंदपाल को शह देने ने में सरकार के 4 वरिष्ठ मंत्रियों का नाम शामिल। जिसमें नागौर, चुरू, सीकर और जयपुर के राजपूत और मुस्लिम नेता शामिल हैं।

अगर ऐसे में CBI जांच बैठती है तो राजस्थान में अगले साल होने वाले चुनावों पर गहरा असर पड़ सकता है। दूसरी और ब्राह्मण और जाट विधायकों के साथ ही राजपूत समाज के जबरदस्त विरोध को देखते हुए वसुंधरा राजे की कुर्सी पर सकंट के बादल मंडराने लगे हैं।

शव पर सियासत का ओडियो टेप लीक: 

आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर मामले में बुधवार को लीक हुई ‘शव पर सियासत’ वाले ऑडिया टेप के बाद नया मोड़ आ गया है़। आनंदपाल सिंह के परिवार के करीबी और पुलिस सूत्रों के हवाले खबर मिल रही है कि ऑडियो में सियासत करने वाले कथित वकील को कानूनी घेरे में लेने की तैयारी कर ली गई है। उधर, खुफिया एजेंसियों ने भी इस मामले में सारे सबूत जुटा लिए हैं। जानकारी के अनुसार कथित वकील पर आनंदपाल के परिवार की महिलाओं को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है।

बता दें इस ऑडियो में श्रीराजपूत करणी सेना के संरक्षण लोकेन्द्र सिंह कालवी और राजपूत सभा भवन के अध्यक्ष गिर्राज सिंह लोटवाड़ा पर सरकारी एजेंट होने के आरोप लगाए गए। ये आरोप श्रीराजपूत करणी सेना के अध्यक्ष अजीत सिंह मामडोली और राजस्थान बुनकर बोर्ड के अध्यक्ष राधेश्याम सिंह तंवर लगा रहे हैं। इन ऑडियो में आनंदपाल सिंह की बड़ी बेटी चीनू की बातचीत भी शामिल है।

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एनकाउंटर को लेकर कई सवाल भी खड़े हुए हैं-

1. मसलन पुलिस का कहना है कि आनंदपाल की जानकारी उसके भाईयों से मिली जबकि आनंदपाल के कहीं होने की जानकारी भाईयों को भी नहीं रहती थी।

2. आनंदपाल के पास दो एके-47 थी और 400 कारतूस बचे थे और वो एके-47 से गोलियां बरसा रहा था फिर भी पुलिस ने उसके पास जाकर पीठ में गोली मार दी।

3. घायल पुलिसकर्मी राजपूत ही क्यों दिखाए गए हैं। क्योंकि राजपूतों की सहानुभूति आनंदपाल के साथ रहती थी।  एके-47 से केवल मामूली घायल करे, ऐसा भी अनाड़ी नहीं था आनंदपाल।

4. सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर में चार्जशिटेड रहे गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया बार-बार क्यों कह रहे हैं कि मुझे नहीं पता था। मुझे तो मुख्यमंत्री ने बताया। साथ ही सोहराबुद्दीन मामले में ही जमानत पर चल रहे आईजी दिनेश एनएम पूरे मामले को लीड कर रहे थे लेकिन कहा कि मुझे इस बात का पता नहीं था कि मुठभेड़ आनंदपाल से चल रही थी।

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5. पुलिस का ये भी कहना कि सीढ़ी पर जाकर आईना लगा दिया और आईने में देखकर गोली मारी गई, यह बात गले नहीं उतरती है। एक तो रात के साढ़े दस बजे आईना लगाने गए और दूसरा जिस घर से आनंदपाल गोली बरसा रहा था उसमें आईना लगा आए।

6. जब आनंदपाल घर से गोली चला रहा था तो पुलिसवाले घर में घुसकर महिलाओं को एक कमरे में कैसे बंद कर रहे थे।

7. डीजीपी मनोज भट्ट ने शनिवार की रात इस मसले पर ये कहकर बोलने से मना कर दिया था कि सभी लोग एक साथ सुबह बोलेंगें।

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दो वोटों से हार के कारण आनंदपाल बना अपराधी-

आनंदपाल फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाला पढ़ा लिखा लॉ ग्रेजुएट था। लेकिन चुनाव में पूर्वमंत्री हरजीरां बुरड़क के बेटे से दो वोटों से हारने के बाद आनंदपाल अपराध की दुनिया में उतर आया था। शराब के धंधे से लेकर अपहरण और हत्या तक में उसका दखल था। फिर उसको साथ मिला सीकर की लेडी डान अनुराधा चौधरी का।

आनंदपाल पर हत्या, लूट, फिरौती, अपहरण के 24 मामले राजस्थान के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं। देश के 5 राज्यों में आनंदपाल के ठिकाने थे। उसके 108 गुर्गों को पुलिस अब तक पकड़ चुकी है। इनमें से 60 को जमानत मिल चुकी है जबकि 48 अब भी जेल में है। पुलिस के अनुसार मंत्री, विधायक और अफसर समेत 21 लोगों को आनंदपाल से खतरा था।

बताते चलें कि 3 सितंबर 2015 को डीडवाना कोर्ट में पेशी से लौटते समय आनंदपाल अपने दो साथियों के साथ फरार हो गया था। इस घटना ने राजस्थान की सियासत में भूचाल ला दिया था। उसकी फरारी राजस्थान पुलिस की नाक का सवाल बन गई थी।

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