राष्ट्रपति चुनाव: जानिए रामनाथ कोविंद की सीट के पीछे PM मोदी का असली निशाना कहां है?

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नई दिल्ली: पीएम मोदी वहां से लिस्ट बनाना शुरू करते हैं जहां पर कयासों की सूची समाप्त होती है. राष्ट्रपति पद के लिए जितने नामों पर पिछले कुछ महीनों से माथापच्ची चल रही थी, उनसे इतर एक नाम देकर मोदी ने एकबार फिर लोगों को चौंका दिया है और यह नाम है बिहार के राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी के नेता रामनाथ कोविंद का।

दिल्ली में सोमवार को हुई बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक में बीजेपी की तरफ से रामनाथ कोविंद का नाम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया। यहां देखने वाली बड़ी जो है वो ये कि कोविंदा दलित दलित हैं और उत्तर प्रदेश के कानपुर से आते हैं। विवादों से नाता न के बराबर रहा है। सौ बातों की एक बात कोविंद का नाम विपक्ष के लिए एक बड़ा झटका है।

आपको बताते हैं कि कौन हैं रामनाथ कोविंद

रामनाथ कोविंद वर्तमान में बिहार के राज्यपाल हैं, वो 8 अगस्त, 2015 को चुने गए थे बिहार के राज्यपाल। रामनाथ कोविंद को बीजेपी ने 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया था लेकिन वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद पार्टी ने 1994 और 2000 में उन्हें यूपी से दो बार राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा।

1977 में इमरजेंसी के दौरान जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव बने थे। इसके बाद वो बीजेपी नेतृत्व के संपर्क में आए। ऑल इंडिया कोली समाज के अध्यक्ष हैं रामनाथ कोविंद। वो बीजेपी के एससी-एसटी मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

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रामनाथ कोविंद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 16 साल तक वकालत की प्रैक्टिस कर चुके हैं।  उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के परौख गांव में साल 1945 में रामनाथ कोविंद का जन्म हुआ है। रामनाथ कोविंद तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। परौख गांव में कोविंद अपना पैतृक मकान बारातशाला के रूप में दान कर चुके हैं। रामनाथ कोविंद से बड़े उनके दो भाई प्यारेलाल और स्वर्गीय शिवबालक राम हैं।

रामनाथ कोविंद की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई संदलपुर ब्लॉक के खानपुर गांव परिषदीय प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय में हुई थी। कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद डीेएवी कॉलेज से बी.कॉम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बाद में दिल्ली में रहकर उन्होंने आईएएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की। लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलॉयड सेवा में चयन होने पर रामनाथ कोविंद ने नौकरी ठुकरा दी थी।

कोविंद की सीट के पीछे मोदी का असली मकसद:

भारत में अभी तक केवल एक दलित राष्ट्रपति हुए हैं, केआर नारायणन। लेकिन वो दक्षिण से आते थे और उत्तर की राजनीति में उनका दखल और प्रभाव न के बराबर रहा है। ऐसे में यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि अगर कोविंद राष्ट्रपति बन जाते हैं तो उत्तर भारत से पहली बार कोई दलित देश का राष्ट्रपति बनेगा।

कोविंद उत्तर प्रदेश से आते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि कोविंद आरक्षण बचाओ आंदोलन जैसे सामाजिक प्रयास भी कर चुके हैं। उनकी यह बात अगड़ों की आरक्षण विरोधी अवधारणा के खिलाफ दलितों के हित का एक उदाहरण पेश करती है। अब बात करें मायावती की तो विरोध का कोई सवाल बनता ही नहीं।

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भाजपा जानती है कि अगले 2019 लोकसभा चुनाव तक अगड़ों के बीच उनका जनाधार मजबूत बना रहेगा। चुनौती है उस संख्या को और बड़ा करना ताकि जिन राज्यों में भाजपा को नुकसान हो सकता है, वहां की भरपाई की जा सके। राज्यों की राजनीति में जो क्षेत्रीय दल भाजपा के लिए मुसीबत हैं वो अधिकतर दलित नहीं, पिछड़ों की राजनीति वाले दल हैं। ऐसे में पिछड़ों को तोड़ने से आसान काम है दलितों को अपनी ओर खींचना। लेकिन भाजपा को उसके लिए अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत है। और कोविंद का नाम इसमें एक सार्थक कदम है। इसके साथ ही बीजेपी को अपने अगले चुनावों के लिए एक और वोट बैंक मिल गया।

कोविंदा के चुनाव पर विपक्ष के बोल:

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कोविंद की राजनीतिक पृष्ठभूमि से सहमत नहीं लेकिन उनके प्रति हमारी पार्टी का दृष्टिकोण सकारात्मक रहेगा। वैसे नाम का ऐलान करने से पहले सभी पार्टियों चर्चा की गई होती तो अच्छा होता। उधर, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सलाह मशवरे की गुंजाइश रही नहीं। बीजेपी ने घोषणा कर दी, अब विपक्ष पार्टियां अपना निर्णय लेंगे।

कांग्रेस की ओर गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि बीजेपी ने इकतरफा फैसला लिया। हालांकि उन्होंने कोविंद की उम्मीदवारी पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जब फैसला हो गया तो उसमें आम सहमति की गुंजाइश रही नहीं।

तेलंगाना राष्ट्र समिति ने राम गोविंद के नाम का फैसला का समर्थन किया। नीतीश कुमार ने भी रामनाथ कोविंद का खुलकर समर्थन किया है। जहां तक शिवसेना की बात है तो प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, “7 बजे उद्धव, समर्थन करने या न करने के बारे में बता सकते हैं। अमित शाह ने फोन कर जानकारी दी, समर्थन मांगा है।”

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