लखनऊ: राजनीति में सबसे बड़ी दावेदार पार्टी अपने बुरे दौर से गुजर रही है। शुक्रवार शाम मुलायम ने अखिलेश और रामगोपाल यादव को पार्टी से 6 साल के लिए बाहर करने का फैसला लिया था लेकिन 20 घंटे बाद ही अपने फैसले को वापस ले लिया। इसका एलान खुद शिवपाल ने पहले ट्वीट से किया।
आपको बता दें एक तरफ जहां अखिलेश ने अपनी बैठक में 198 विधायकों के साथ अपना दबदबा कायम किया है वहीं पिता मुलायम की बैठक में सिर्फ 73 उम्मीदवार और सिर्फ 11 विधायक ही पहुंच पाए हैं।
नेताजी के आदेश अनुसार अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव का पार्टी से निष्कासन तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है। सब साथ (1/2)
— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) 31 December 2016
यहां जानें क्या हुआ पार्टी में अबतक-
- मुलायम और अखिलेश में सुलह कराने के लिए आजम खान अखिलेश को मुलायम से मिलवाने ले गए।
- इसके बाद वहां एक घंटे लंबी बैठक चली। बैठक की शुरूआत में सिर्फ अखिलेश यादव, आजम खान और मुलायम सिंह यादव ही मौजूद थे।
- बैठक शुरू होते ही आजम खान ने अखिलेश यादव को समझाया कि प्रदेश में पिता-पुत्र का रिश्ता मजाक का पात्र बन गया है। ऐसे में लोग पार्टी पर सवाल खड़े करने लगे हैं।
- आजम खान ने अखिलेश से कहा कि साल 2012 में आपके पिता मुलायम सिंह यादव ने ही आपको सीएम बनाया था, ऐसे में इस तरह से विवाद खड़ा कर देने से पार्टी को बहुत नुकसान हो सकता है।
- आजम खान ने इतनी बात समझा कर अखिलेश से कहा कि वह अपने पिता मुलायम सिंह यादव के पैर छुए।
- अखिलेश के पैर छूने के बाद मुलायम ने बेटे अखिलेश को गले लगाया और दोनों के बीच सुलह हो गई। लेकिन सुलह सिर्फ इतने पर ही नहीं हुई।
- इस बैठक में पहली बात यह तय हुई कि अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव का निष्कासन तुंरत प्रभाव से रद्द होगा।
- बैठक में यह भी तय हुआ कि भविष्य में पार्टी के हित में कोई भी फैसला मुलायम और अखिलेश दोनों मिलकर करेंगे।इसमें शिवपाल और रामगोपाल यादव की कोई भूमिका नहीं होगी।
- बैठक में यह बात भी तय हुई कि मुलायम खेमे और अखिलेश खेमे की दोनों लिस्ट रद्द कर दी जाएंगी। जिसके बाद आपसी सहमति के बाद उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की जाएगी।
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- क्या है विवाद?
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विवाद तो शिवपाल और अखिलेश में है लेकिन ताजा विवाद टिकटों कें बंटवारे को लेकर है। मुलायम ने यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी के 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। इस लिस्ट में अखिलेश के करीबियों का नाम नहीं था। पिता के फैसले से नाराज अखिलेश ने ने 235 उम्मीदवारों की अलग लिस्ट जारी कर दी। इसके बाद सपा के महासचिव रामगोपाल यादव ने एक जनवरी को पार्टी की आपात बैठक बुला ली, जिससे नाराज होकर मुलायम ने रामगोपाल और अखिलेश को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया।