संवाददाता भीलवाड़ा। शाहपुरा में कोई भी तेरापंथ का परिवार न होने के बाद अणुव्रत समिति का गठन होना व इसके तत्वावधान में पिछले लंबे समय से गतिविधियों का संचालन होना सभी के लिए प्रेरणास्पद है। राजसमंद व भीलवाड़ा में अणुव्रत विश्व भारती सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजित हो रहे 72वां अणुव्रत अधिवेशन में शाहपुरा समिति के मंत्री गोपाल पंचोली व पूर्व अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा भाग ले रहे है।
राष्ट्रीय स्तर के अणुव्रत अधिवेषन में शाहपुरा समिति के मंत्री गोपाल पंचोली ने अपना प्रतिवेदन रखा तथा बताया कि शाहपुरा में वर्तमान में तेरापंथ का कोई भी परिवार नहीं है। बावजूद आचार्यश्री महाप्रज्ञ व आचार्य महाश्रमण के आर्षिवाद से शाहपुरा में अणुव्रत समिति का संचालन किया जा रहा है। समिति अपने सीमित संसाधानों से स्कूलों व सामाजिक स्तर पर अणुव्रत आंदोलन को विस्तारित करने का कार्य कर रही है। अब तक प्रेक्षा ध्यान षिविर सहित कई बड़े आयोजन भी हो चुके है। सामाजिक जागृति के अलावा जीवन विज्ञान से जुड़े पहलुओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
समिति के वर्तमान अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय ने बताया कि समिति की ओर से अगले सप्ताह अणुव्रत सप्ताह का आयोजन भी व्यापक स्तर पर मनाया जायेगा जिसकी तैयारियों को अंतिम रूप देकर अणुव्रत अधिवेषन में कार्य योजना को स्वीकृत कराया गया है। अधिवेषन में अणुविभा के अध्यक्ष संचय जैन सहित अन्य पदाधिकारियों ने शाहपुरा समिति के प्रति अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अनवरत प्रयासों से समिति आगे उत्कृष्ट कार्य करेगी।
शाहपुरा अणुव्रत समिति के पदाधिकारियों ने भीलवाड़ा में चल रहे आचार्यश्री महाश्रमण के चार्तुमास में पहुंच कर उनसे आर्षिवाद प्राप्त किया तथा शाहपुरा समिति की कार्य योजना की जानकारी दी। आचार्यश्री ने सभी को शुभाषिष देते हुए मांगलिक सुनाया और अणुव्रत आंदोलन व अणुव्रत के सिद्वांतों को जनज न तक पहुंचाने का निर्देष दिया। इस मौके पर अणुव्रत समिति भीलवाड़ा के वरिष्ठ सदस्य लक्ष्मीलाल गांधी ने शाहपुरा समिति के कार्यो की जानकारी आचार्यश्री को अवगत करायी। आचार्यश्री ने आर्षिवाद प्राप्त करने वालों में समिति के अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय, पूर्व अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा, मंत्री गोपाल पंचोली, मुरलीधर मूंदड़ा, सोमेष्वर व्यास शामिल थे।
मंत्री गोपाल पंचोली ने बताया कि ”अणुव्रत-मिशन” की 72 वर्षों की एक ‘युग यात्रा’ नैतिक प्रतिष्ठा का एक अभियान है। परिवर्तन जीवन का शाश्वत नियम है, प्रगति एवं विकास का यह सशक्त माध्यम है। जीवन का यही आनन्द है, यह जीवन की प्रक्रिया है, नहीं तो जीवन, जीवन नहीं है। टूटना और बनना परिवर्तन की चौखट पर शुरू हो जाता है। नये विचार उगते हैं। नई व्यवस्थाएं जन्म लेती हैं एवं नई शैलियां, नई अपेक्षाएं पैदा हो जाती हैं। अब जब भारत नया बनने के लिए, स्वर्णिम बनने के लिए और अनूठा बनने के लिए तत्पर है, तब एक बड़ा सवाल भी खड़ा है कि हमें नया भारत कैसा बनाना है? ऐसा करते हुए हमें यह भी देखना है कि हम इंसान कितने बने हैं? हममें इंसानियत कितनी आई है? हमारी जीवनशैली में मूल्यों की क्या अहमियत है? यह एक बड़ा सवाल है। बेशक हम नये शहर बनाने, नई सड़कें बनाने, नये कल-कारखाने खोलने, नई तकनीक लाने, नई शासन-व्यवस्था बनाने के लिए तत्पर हैं लेकिन मूल प्रश्न है नया इंसान कौन बनायेगा।
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