हनुमानगढ़़। अनुसूचित जाति व गरीब वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्षरत रामजस मेघवाल ने पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सोमवार को भारत रक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मपाल कटारिया और पीड़ित रामजस ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता कर पूरे मामले का खुलासा किया। रामजस ने बताया कि उन्होंने सितंबर 2024 में नुकेरा गांव की दो नाबालिग अनुसूचित जाति की बहनों के अपहरण और बलात्कार के मामले में न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन किया था। इससे कुछ पुलिस अधिकारी नाराज हो गए और उन्हें निशाना बनाना शुरू कर दिया। पीड़ित ने आरोप लगाया कि 18 सितंबर 2024 की रात एएसआई जसकरण सिंह ने एक महिला के साथ दुष्कर्म किया, लेकिन जब पीड़िता ने महिला थाना हनुमानगढ़ में रिपोर्ट दर्ज कराने का प्रयास किया, तो तत्कालीन थाना अधिकारी कविता पुनीया ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।
बाद में, जसकरण सिंह और अन्य पुलिस अधिकारियों ने मिलकर पीड़िता को धमकाया और मामला दबा दिया। रामजस ने बताया कि जसकरण सिंह और उसके सहयोगियों ने उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की साजिश रची। 5 अक्टूबर 2024 को वे कृष्ण धाणक की बेटी संजू रानी को न्याय दिलाने के लिए पुलिस थाना संगरिया गए थे, लेकिन वहां भी पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। इसके बाद, पुलिस ने उनके खिलाफ फर्जी केस दर्ज कर उन्हें अपराधी साबित करने की कोशिश की। 24 अक्टूबर 2024 को, एएसआई जसकरण सिंह और दो अन्य पुलिसकर्मियों ने रामजस को जबरन उठा लिया और डीवाईएसपी मीनाक्षी सहारण के पास ले गए।
वहां उन्हें धमकाया गया और झूठे मुकदमे में फंसाने की बात कही गई। रामजस का कहना है कि पुलिस अधिकारियों ने जातीय द्वेष के चलते उन्हें जानबूझकर इस मामले में घसीटा और उनका करियर व सम्मान नष्ट करने की साजिश रची। भारत रक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मपाल कटारिया ने इस पूरे घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति के व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ है और दोषी पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने और रामजस को न्याय दिलाने की मांग की। पीड़ित रामजस ने पुलिस महानिदेशक से दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे न्याय के लिए उच्च न्यायालय तक जाएंगे।
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