क्या चुनावों में होने वाला था बड़ा गोलमाल, BJP नेता के घर से बरामद हुए 9746 वोटर आईडी

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बेंगलुरु: बेंगलुरु के राज राजेश्वरी निर्वाचन क्षेत्र के जलाहल्ली इलाके में स्थित एक से चुनाव आयोग को 9746 वोटर आईडी मिली है। इस छापेमारी के दौरान पांच लैपटॉप और प्रिंटर भी मिले हैं। दो ट्रक में भरकर मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए भरे जाने वाले फॉर्म के लाखों एकनॉलेजमेंट भी मिले हैं, लेकिन जांच के बाद ही पता चलेगा कि ये सब असली है या फर्जी।

मामला के खुलासा होते ही देश की दो बड़ी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे के आमने-सामने आ गई है। दोनों ही पार्टी एक दूसरे पर आरोप लगा रही है। हालांकि चुनाव आयोग के अधिकारियों ने मीडिया को अपने दिए बयान में कहा है कि पहली नजर में देखें गए कागजों के हिसाब से सभी वोटर कार्ड असली लग रहे हैं, लेकिन मामले की जांच की जाएगे कि उसके बाद ही कुछ कहां जा सकेगा।

चुनाव रद्द करने की उठी मांग-
बीजेपी का आरोप है कि राज राजेश्वरी में कांग्रेस प्रत्याशी ने 15,000 फेक वोटर आइडी बनवाए हैं। बीजेपी नेता यहां से चुनाव रद्द करने की भी मांग कर रहे हैं। पार्टी ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है। बीजेपी नेता सदानंद गौड़ा ने कहा है कि कांग्रेस अधिकारियों पर दबाव डालकर वोटर लिस्ट में फर्जी नाम डलवा रही है।

सदानंद गौड़ा ने कहा है कि सत्ताधारी दल के विधायक अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और अधिकारियों पर दबाव डालकर वोटर लिस्ट में गलत नाम डलवा रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस विधायक मुनिरत्न नायडू को गुंडा करार दिया है। उन्होंने कहा कि कम से कम 60 हजार वोटर आईडी कार्ड का गलत इस्तेमाल हो रहा है। इस मामले पर अनंत कुमार ने कहा है कि कांग्रेस चुनावों में गलत तरीकों का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने राजराजेश्वरी इलाके में चुनाव रद्द करने की मांग की है।

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बीजेपी नेता के मकान से बरामद हुए वोटर कार्ड
कांग्रेस ने कहा कि जिस मकान से वोटर आईडी कार्ड मिले हैं वो बीजेपी नेता मंजुला नजामरी का है। कांग्रेस का ये भी कहना है कि इस घर का किराएदार उन्हीं का बेटा राकेश है। कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने कुछ दस्तावेज भी पेश किए जिसके मुताबिक राकेश ने बीजेपी के टिकट पर निगम चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के इन सवालों के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मंजुला 6 साल पहले पार्टी छोड़ चुकी हैं। कांग्रेस अपने किए का ठिकरा बीजेपी पर फोड़ने की कोशिश कर रही है। इसकी निष्पक्ष जांच की जाएगी। जनता के सामने सब आ जाएगा कि कौन-सी पार्टी झूठी राजनीति में शरीक है।

इस मामले के बाहर आते ही अब जनता के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि क्या देश में होने वाले आगामी चुनावों में फेक वोटर आईडी कार्ड द्वारा पार्टियां सत्ता में आने का सोच रही है। इन सवालों के जवाब तभी मिल सकते हैं जब चुनाव आयोग मिले वोटर कार्ड्स की पुष्ठि कर दे कि वह फेक है या रियल। इससे पूरे मामले से ये तो तय है कि पार्टियां आगे इस घटना को  जनता के सामने रखकर अपने दामन पर लगे कीचड़ को साफ करने की कोशिश पूरी करेगी।

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