हनुमानगढ़ टाउन की सोनी मार्केट में श्री छत्रपति शिवाजी मराठा मंडल द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज की 395वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर मंडल के सभी सदस्यों और मराठा समाज के लोगों ने एकत्रित होकर वीर शिरोमणि शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और शिवाजी महाराज के चित्र पर माल्यार्पण से किया । इस मौके पर बजरंग मराठा ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे न केवल एक वीर योद्धा थे, बल्कि कुशल प्रशासक और महान राष्ट्र निर्माता भी थे। उन्होंने मुगल शासकों के अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष किया और स्वराज की स्थापना की। उनके नेतृत्व और रणनीतियों ने मराठा साम्राज्य को एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में स्थापित किया। शिवाजी महाराज की वीरता और कूटनीति का उल्लेख करते हुए जितेन्द्र मराठा ने कहा कि उन्होंने गुरिल्ला युद्ध नीति (गणिमी कावा) को अपनाया, जिससे वे अपने शत्रुओं को परास्त करने में सफल रहे। उनके आदर्श और नीति आज भी प्रासंगिक हैं और युवाओं को प्रेरित करती हैं। इस अवसर पर बजरंग मराठा, पांडे मराठा, संतोष मराठा, बाबू मराठा, अजीत मराठा, मनीष मराठा, बालू मराठा, संपत मराठा, गंगाराम मराठा, शंकर मराठा, लोकेश मराठा, विशाल मराठा, जितेंद्र मराठा, विकास मराठा, विनोद मराठा, कुणाल मराठा सहित मराठा समाज के अनेक लोगों ने भाग लिया। सभी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनकी जयंती मनाई और उनके विचारों को आत्मसात करने की शपथ ली।इस दौरान वक्ताओं ने शिवाजी महाराज के न्यायप्रिय शासन, प्रशासनिक कुशलता और बहादुरी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज केवल मराठा समाज के ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं। उन्होंने धर्म, संस्कृति और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और एक आदर्श हिंदवी स्वराज की स्थापना की। कार्यक्रम में युवाओं को छत्रपति शिवाजी महाराज के विचारों को अपनाने और उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी गई। वक्ताओं ने बताया कि शिवाजी महाराज ने हमेशा अपनी प्रजा का सम्मान किया और उन्होंने महिलाओं और कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए। उनके शासनकाल में सभी धर्मों को समानता का दर्जा मिला और उन्होंने हमेशा न्याय को सर्वोपरि रखा। मराठा समाज के सदस्यों ने संकल्प लिया कि आने वाले वर्षों में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती और अधिक भव्य रूप से मनाई जाएगी। साथ ही समाज में उनके विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
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