भोपाल: स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के प्रति अपराध के मामले में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। प्रदेश में हर रोज 27 बच्चे लापता हो रहे हैं। मध्यप्रदेश पुलिस के स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 9,800 बच्चे लापता हुए। साल 2017 की तुलना में 2018 में लापता के मामले सात प्रतिशत बढ़े हैं। सतना अपहरणकांड के बाद लापता बच्चों का मामला एक बार फिर प्रदेश में गूंजने लगा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में भी मध्यप्रदेश अव्वल है। लापता बच्चों की जांच पुलिस से लेकर सीआईडी तक करती है। फिर भी इन अपराधों में कमी नहीं आ रही है। लापता बच्चों की संख्या में अधिकांश लड़कियां हैं।
इनमें से अधिकांश बच्चे खुद घर लौट आते हैं, जबकि कम मामलों में पुलिस को बच्चों को ढूंढने में सफलता मिलती है। मिसिंग बच्चों में करीब 12 प्रतिशत ऐसे मामले होते हैं, जिनमें बच्चों का पता सालों तक नहीं चलता है। गृहमंत्री बाला बच्चन ने कहा है कि जो भी प्रदेश के लिए बेहतर होगा, वो किया जायेगा। सतना में जुड़वा भाईयों के अपहरण के बाद मर्डर की घटना से अब सवाल ये उठने लगा है कि लापता बच्चों को लेकर सरकार कितनी गंभीर है।
एक नजर: इन आकंड़ो पर
-साल 2004 से 2016 के बीच बच्चों के साथ अपराधों के सबसे ज्यादा 88,908 मामले मध्यप्रदेश मे दर्ज हुए।
-साल 2016 में बच्चों के साथ हर रोज 38 मामले दर्ज हुए।
-साल 2016 में प्रदेश में 8503 बच्चे गुम हुए, इनमें से 6,037 लड़कियां थीं।
-साल 2004 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में बच्चों के अपहरण के 23,099 मामले दर्ज हुए।
-साल 2017 में 9,200 बच्चे लापता हुए।
-साल 2018 में 9800 बच्चे लापता हुए।
-साल 2017 की तुलना में 2018 में लापता मामलों में 7 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई।
-साल 2018 के आंकड़ों के अनुसार हर रोज 27 बच्चे लापता होते हैं।
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