नई दिल्ली: हाल ही में मेडिकल जर्नल द लैसेंट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग वायु प्रदुषण की वजह से मारे जाते हैं। इसमें बताया गया है कि भारत में प्रतिमिनट दो लोगों की मौत हो जाती है।दुनिया की सबसे प्रदूषित जगह भारत में ही हैं। यह आंकड़े 2010 में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर जारी किए गए हैं। इनको पिछले हफ्ते जारी किया गया। स्टडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण और वातारण में हो रहे बदलाव एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और दोनों पर एक साथ काबू पाने की जरूरत है।
इससे पहले पिछले यूनीसेफ कहा गया था कि नई दिल्ली में ‘रिकॉर्ड स्तर पर उच्च’ वायु प्रदूषण दुनिया के लिए ‘खतरे की घंटी’ है। उन्होंने चिंता जताते हुए आगे कहा था कि अगर वायु प्रदूषण कम करने के लिए निर्णायक कदम नहीं उठाए गए तो भारत की राजधानी में धुंध और इसके नागरिकों के दैनिक जीवन पर पड़ने वाला प्रतिकूल प्रभाव सामान्य बात बन जाएगी।
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यूनीसेफ ने तब एक बयान में कहा था, ‘दिल्ली में बच्चों की दिक्कत हर सांस के साथ बढ़ रही है। दिल्ली वायु प्रदूषण को लेकर विश्व के लिए खतरे की घंटी है। यह उन सभी देशों एवं शहरों के लिए खतरे की घंटी है जहां वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण बच्चों की मौत हुई है और वे बीमार हुए हैं।’ उन्होंने एक बयान में आगे कहा था, ‘यह खतरे की घंटी है जो हमें बहुत स्पष्ट रूप से बता रही है कि यदि वायु प्रदूषण कम करने के लिए निर्णायक कदम नहीं उठाए गए तो दिल्ली में हमने पिछले सप्ताह जो घटनाएं देखीं वे बहुत तेजी से आम हो सकती हैं।’
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