14 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन? BJP के धुरंधर मुख्यमंत्री हुए अपने ही राज्यों में फेल

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राजस्थान: दलित संगठनों का सोमवार को भारत बंद बेहद हिंसक रहा। राजस्थान सहित 12 राज्यों में जबरदस्त हिंसा हुई। 14 लोग मारे गए। इनमें से 4 की मौत एंबुलेंस रोकने से हुई। अलवर जिले में खैरथल निवासी 22 वर्षीय पवन की गोली लगने से मौत हो गई। चार लोग गंभीर घायल हुए। हालात इतने बेकाबू हो गए कि गंगापुर सिटी में कर्फ्यू लगाना पड़ा। प्रदेशभर में सैकड़ों वाहन फूंक दिए गए।

अलवर में प्रदर्शनकारियों ने रेल रोकी और पटरियां उखाड़ दी। प्रदेश में पुलिसकर्मियों सहित 220 से ज्यादा लोग घायल हुए। जोधपुर में बंद के दौरान मोर्चा संभाले सब इंस्पेक्टर महेंद्र चौधरी को दिल का दौरा पड़ा। उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है। दौसा, भरतपुर के भुसावर और गंगापुर सिटी में बाजारों में लूट हुई। दस से ज्यादा जिलों में इंटरनेट सेवाएं बाधित रही। पुलिस ने 150 लोगों को हिरासत में लिया।

राजस्थान में शताब्दी सहित तीन ट्रेनें प्रभावित हुईं। देशभर में यह आंकड़ा 100 से ज्यादा ट्रेनों का रहा। दलित संगठन एससी-एसटी एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि सरकार ने सोमवार को ही इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में फिर से चुनौती दे दी थी। पर कोर्ट ने फौरन सुनवाई से मना कर दिया।

राजस्थान में खौफ का माहौल-
– जयपुर में 47 लो-फ्लोर बसों सहित 300 वाहनों में तोड़फोड की गई। टोंक फाटक क्षेत्र में रेल रोकी गई।
– बीकानेर, अलवर, दौसा, करौली, बाड़मेर, श्रीगंगानगर सहित कई जिलों में पत्थरबाजी हुई।
-दौसा, भुसावर, झुंझुनूं, गंगापुरसिटी में व्यापारियों से लूट।
-नागौर में 28 बाइक्स जलाईं, रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन।
-सीकर डेढ़ दर्जन वाहनों में आग लगाई। एएसपी सहित आधा दर्जन लोग घायल।

सबसे ज्यादा मौते मध्यप्रदेश में-
मप्र के ग्वालियर, भिंड व मुरैना सहित 10 से ज्यादा जिलों में हिंसा। सबसे ज्यादा 7मौतें इसी राज्य में। ग्वालियर में 3, भिंड में तीन और मुरैना में एक शख्स की मौत। इन तीनों जिलों में कर्फ्यू। इंटरनेट भी बंद।

यूपी में दो की मौत-
उत्तरप्रदेश में मेरठ, आगरा, गाजियाबाद, हापुड़, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर सहित कई इलाकों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई। फायरिंग में मुजफ्फरनगर और मेरठ में एक-एक युवक की मौत हो गई।

3 दिन पहले भारत बंद का ऐलान फिर प्रशासन की तैयारी क्यों नहीं-
दलित संगठनों ने 3 दिन पहले भारत बंद की चेतावनी दी लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीर ना लेते हुए इस आंदोलन को हिंसा में तब्दील होने दिया। मध्यप्रदेश, राजस्थान, यूपी में बीजेपी की सरकार है, जबकि बिहार में जेडीयू के साथ बीजेपी की गठबंधन सरकार है. लेकिन केंद्र की पूरी मदद का आश्वासन होने के बावजूद शिवराज सिंह, वसुंधरा राजे, नीतीश कुमार और योगी आदित्यनाथ सरकार बंद के खुले खूनी खेल को रोकने में नाकामयाब नजर आई।

महाराष्ट्र के इस केस ने करवाया भारत बंद-
इस मामले की शुरुआत महाराष्ट्र में शिक्षा विभाग के स्टोर कीपर पर जातिसूचक टिप्पणी से हुई थी। इसमें राज्य के तकनीकी शिक्षा निदेशक सुभाष काशीनाथ महाजन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि महाजन ने अपने अधीनस्थ उन दो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी, जिन्होंने दलित स्टोर कीपर पर जातिसूचक टिप्पणी की थी। इसके बाद मामला पुलिस के पास पहुंचा. यहां जब दोनों आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उनके सीनियर अधिकारी महाजन से इजाजत मांगी, तो उन्होंने इनकार कर दिया। इस बात पर पुलिस ने महाजन पर भी केस दर्ज कर लिया। पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के खिलाफ 5 मई 2017 को काशीनाथ महाजन ने इसके खारिज कराने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने-
सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई करते हुए कहा है कि एससी/एसटी एक्ट में आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी न की जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। दलित संगठनों और विपक्ष ने केंद्र से रुख स्पष्ट करने को कहा। सरकार ने कहा कि हम इस मसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत मिले। पुलिस को 7 दिन में जांच करनी चाहिए। सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती।

पद्ममावत की तरह जल्दी खत्म होगा आंदोलन-
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत के मुताबिक, जैसे ही प्रदर्शनकारियों को अहसास होगा कि इसमें विरोध करने जैसा कुछ नहीं है, वो हिंसा रोक देंगे। केंद्रीय मंत्री ने इस प्रदर्शन की तुलना संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज के दौरान भड़की हिंसा से की है। उन्होंने कहा, “जैसे ही राजपूतों ने फिल्म देखी, उन्हें मालूम चला कि इसमें रानी पद्मावती का खराब चित्रण नहीं किया गया है और फिर उन्होंने प्रदर्शन बंद कर दिए।”

आंदोलनकारियों को मालूम नहीं हिंसा क्यों?
भारत बंद के दौरान कई मीडिया रिपोर्ट्स में निकलकर आया कि आंदोलन भी शामिल हुए आधे से ज्यादा युवाओं को ये मालूम ही नहीं कि दलितों द्वारा भारत बंद का ऐलान क्यों किया गया है। यानी ये तो साफ है कि जो आंदोलन हक के लिए किया जाना था उसके कुछ अराजक तत्वों ने हिंसा का रूप दे दिया।

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