– जंक्शन धान मण्डी में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा विशाल सभा का आयोजन
हनुमानगढ़। मंगलवार को हनुमानगढ़ पहुचे किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत, भाकियु के प्रदेशाध्यक्ष राजराम मील, महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह, राकेश आजाद ने टाउन गुरूद्वारा सुखासिंह महताब सिंह में मात्था टेककर क्षेत्र व किसानों की सुख स्मृद्धि व खुशहाली की अरदास करवाई। गुरूद्वारा साहिब में गुरूद्वारा कमेटी व भाकियु के संभाग सचिव रायसाहब चाहर, मनप्रीत सिंह, संदीप कंग सहित अन्य कार्यकर्ताओं द्वारा स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया। इसके पश्चात जंक्शन धानमण्डी में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की सभा का आयोजन किया गया। सभा में किसानों का उत्साह देखने लायक था। सभा से पूर्व किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ करीब 13 महीने चले किसान आंदोलन के बाद भी किसानों को बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है।
अगर दिल्ली का आंदोलन नहीं होता तो अब तक यह मंडियां बिकने की लाइन में चली जाती। इतने बड़े आंदोलन के बाद भी हालातों में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। सरकारों की नीयत ठीक नहीं है। मंगलवार को हनुमानगढ़ जंक्शन की धानमंडी में हुई किसान महापंचायत को संबोधित करने पहुंचे टिकैत ने मीडियाकर्मियों से यह बात कही। सभा के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा जिला संयोजक रामेश्वर वर्मा, भाकियु जिलाध्यक्ष रेशम सिंह माणुका, रायसाहब़़, अपारजोत बराड़, मनप्रीत सिंह, तरसेम मैन, विक्रम नैण, महेन्द्र सिंह भाकर, संदीप कंग, कुलदीप मान, रमनदीप कौर, जसमीत भुल्लर, कुलविन्द्र कौर, यादवेन्द्र पहलवान, काला पहलवान, लखवीर सरपंच, बलविन्द्र सिंह, चरणप्रीत बराड़ द्वारा किसान नेताओं का पगड़ी पहनाकर व 151 किलो की माला पहनाकर हनुमानगढ़ धरा पर स्वागत किया। इस मौके पर भाकियु के जिला महासचिव रायसाहब चाहर द्वारा राकेश टिकैत का चांदी का मुकुट पहनाकर स्वागत अभिनंदन किया। सभा को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि हर क्षेत्र में बिहार के मजदूर काफी तादाद में हैं।
बिहार में कृषि कानून 17 साल पहले लागू हो गया था। वहां तब मंडियां खत्म हो गई थीं। वहां से मजदूरों के साथ किसान भी पलायन कर रहे हैं। वह दूसरे क्षेत्र में जाकर मजदूर बन रहा है। यही हालात पूरे देश में होने वाले हैं। सरकार मंडियों की खाली जगह को बेचना चाहती है। सरकार धोखे में रखकर कह रही है कि मंडी के बाहर फसल की खरीद अच्छी होती है। मंडी से बाहर खरीद पर सरकार सहूलियत दे रही है, लेकिन मंडी में नहीं दे रही। मध्यप्रदेश में भी यही हाल हैं। टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन नहीं बल्कि, वैचारिक क्रांति शुरू हुई है। यह विचारों से ही खत्म होगी। सरकार यदि मामला सुलझाना चाहती है तो अपना नंबर दे, हमारे नेता बात कर लेंगे। किसान नेता ने कहा कि एमएसपी पर कानून बनेगा तो पूरे देश को फायदा होगा। केंद्र सरकार को तीनों कानून वापस लेने चाहिए। टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने रेल बेच दी, फैक्टरी बेच दी, आधा देश बेच दिया और आधा बेचने की तैयारी है। काले कानूनों से सरकार अनाज को गोदाम में बंद कर इंसान की भूख की कीमत तय कर रही है। भाजपा के आठ साल के राज में 14 करोड़ नौकरियां चली गईं। भाजपा वाले आएंगे तो पूछना कि गन्ने और धान की फसल के रेट क्यों नहीं बढ़े। इन पर वोट से चोट करोगे, तभी आपकी बात सुनेंगे। जैसी दवाई इन्हें बंगाल की जनता ने दी, चुनाव में उत्तराखंड की ऐसी जड़ी-बूटी देना, जिससे भाजपा का इलाज हो जाए।
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