कृषि विज्ञान केंद्र में ऊर्जा संरक्षण को लेकर 124 कृषकों को किया जागरूक

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संवाददाता शाहपुरा- शाहपुरा भीलवाड़ा शाहपुरा उपखंड क्षेत्र के कृषि विज्ञान केन्द्र अरणिया घोड़ा शाहपुरा भीलवाड़ा पर राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड़, जयपुर द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण ऊर्जा दक्षता एवं ऊर्जा संरक्षण विषय पर आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में 124 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
राजस्थान राज्य विद्युत बोर्ड के सहायक अभियन्ता डी. एस. बैरवा ने विभाग की गतिविधियों की जानकारी देते हुए ऊर्जा का दैनिक जीवन में महत्त्व एवं उपयोगिता पर प्रकाश डाला।केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने ऊर्जा की उपयोगिता एवं महत्त्व पर चर्चा करते हुए बताया कि ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, केवल रूप बदला जा सकता है। डॉ. यादव ने बताया कि वर्तमान में बढ़ती हुई जनसंख्या और ऊर्जा की खपत को देखते हुए ऊर्जा संरक्षण एक प्रमुख मुद्दा बन जाता है। ऊर्जा हमारे लिए प्रकृति का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है। डॉ. यादव ने लकड़ी, कोयला, खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस को ऊर्जा के प्रमुख स्त्रोत बताएँ डॉ. के. सी. नागर, प्रोफेसर शस्य विज्ञान ने ऊर्जा संरक्षण के उपायों में बताया कि जहां तक हो सके प्रकृति के द्वारा मिलने वाली जल ऊर्जा, सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग करें साथ ही उपयोग में न आने वाले विद्युत उपकरणों को बन्द रखें एवं पानी के स्त्रोत खुले न छोड़े।उद्यान वैज्ञानिक डॉ. राजेश जलवानियाँ ने बताया कि ऊर्जा दक्षता एक लक्ष्य है, जो दैनिक जीवन में और कल-कारखानों आदि में लगने वाली ऊर्जा को कम करने और सदुपयोग करने का है ताकि अधिक ऊर्जा व्यर्थ न हो । सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ ओ. पी. पारीक ने कृषि में ऐसे यन्त्रों का उपयोग करने की आवश्यकता प्रतिपादित की जिनमे ऊर्जा की कम खपत हो और अधिक समय खर्च न हो साथ ही ऊर्जा एवं जल संरक्षण के लिए कम जल मांग वाली फसलों का चयन एवं बूँद-बूँद सिंचाई प्रणाली अपनाने की आवश्यकता प्रतिपादित की। फार्म मैनेजर गोपाल लाल टेपन ने बताया की ऊर्जा के स्त्रोत सीमित है। अतः यह आवश्यक है कि हम ऊर्जा केदुरूपयोग को रोके और ऊर्जा संरक्षण के प्रयास करें।वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता प्रकाश कुमावत ने बताया कि ऊर्जा संरक्षण हेतु राज्य एवं केन्द्र सरकार भी प्रयासरत है अत हम भी आज ऊर्जा संरक्षण का संकल्प लें और इस महाअभियान के भागीदार बनें। लिपिक ग्रेड प्रथम महेश चन्द्र सुवालका ने किसानों का पंजीकरण कर बताया कि प्रशिक्षण में 124 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।

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