दुष्कर्म के बाद महज 12 वर्ष की उम्र में मां बनी छात्रा को स्कूल कर्मियों के व्यवहार से तंग आकर छोड़ना पड़ा स्कूल

अब कैसे पढ़ेगी बेटियाँ और क्यों बचेगी बेटियाँ, जरा सोचो इस लड़की का क्या दोष !!!!!

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एक तरफ देश जहाँ निर्भया कांड के फैसले को बरक़रार रखने पर लोग कह रहे है कि निर्भया को न्याय मिला, सच की जीत हुई और इससे अपराध में कमी आएगी, परन्तु पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में दुष्कर्म के बाद महज 12 वर्ष की उम्र में मां बनी छात्रा को स्कूल कर्मियों के व्यवहार से तंग आकर स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टीसी) लेना पडा।

परिजनों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने बच्ची को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है। हालांकि स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने आरोपों को गलत बताया है। सूत्रों के मुताबिक स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने कहा कि बच्ची के साथ पूरे स्कूल स्टॉफ और अभिभावकों की सहानुभूति है। मगर बच्चों के अभिभावकों ने बताया है कि दुष्कर्म पीडित बच्ची के साथ पढने वाले दूसरे बच्चे डरे-सहमे रहते हैं। वे नहीं चाहते कि उनके बच्चे पीड़ित बच्ची के साथ पढें। प्रधानाध्यापिका के मुताबिक उनका स्कूल सातवीं तक ही है और आज नहीं तो छह महीने बाद बच्ची को स्कूल छो़ड़ना ही पडेगा। इसलिए बच्ची को अभी ही स्कूल छोड़ने की सलाह दी गई।

इधर, स्कूल की प्रधानाध्यापिका के रवैए से नाराज बच्ची के दादा ने तुरंत टीसी ले ली । उनका कहना है कि हमारी बच्ची आखिर कब तक बेइज्जती झेलती रहेगी। पीड़िता के परिजन कहते हैं कि स्कूल में बच्ची से भद्दी-भद्दी बातें पूछी जाती थीं और उसे उल्टा-सीधा कहा जाता था।

पीड़ित बच्ची के पिता अब उसे घर से करीब 15 किलोमीटर दूर एक स्कूल में दाखिला कराने की कोशिश में हैं। इस बीच परिवार बच्चे के डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है ताकि उसके पिता की पहचान की जा सके। छात्रा ने आठ मार्च को एक बच्चे को जन्म दिया था।

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