जब जुलाई में तैयार था सवर्ण आरक्षण बिल, फिर क्यों लिया लोकसभा चुनावों का सहारा, जानिए सबकुछ

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बीजेपी से नाराज़ चल रहे सवर्णों के एक बड़े वर्ग को लोकसभा चुनावों से पहले लुभाने के लिए ये बड़ा कदम मोदी सरकार द्वारा उठाया गया है। सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक के बाद से सवर्ण जातियों को मिलने वाले 10% आर्थिक आरक्षण को लेकर कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने बताया कि इसकी तैयारी मोदी सरकार आज या कल की नहीं है बल्कि इसकी तैयारी साल 2018 जुलाई से चल रही है।

आर्थिक आधार पर आरक्षण का कैबिनेट नोट तीन दिन पहले तैयार किया गया था। कैबिनेट नोट की खबर लीक न हो, इसके लिए सरकार ने इसे कैबिनेट के एजेंडे में सबसे आखिर में जोड़ा था। जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी को पिछले साल हुए भारत बंद के दौरान से विशेषतौर से उनके लिए कुछ करने की योजना बना रही थी।

पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद बीजेपी ने भाप लिया है कि उनकी जीत आगे आसान नहीं क्योंकि ये विशेष तबका सरकार से खासी नाराज चल रहा है। जहां साल 2014 में इस तबके की मोदी सरकार को सत्ता में लाने की विशेष भूमिका थी। उससे सरकार ऐसे नाराज नहीं कर सकती। भाजपा को तीन राज्यों के नतीजों के बाद लगा कि सवर्णों को साथ लेकर चलना जरूरी है। इसलिए लोकसभा चुनावों से पहले सरकार ने ये घोषणा की है।

किसे मिलेगा लाभ

  1. सालाना 8 लाख आमदनी या 5 एकड़ से कम खेती वाले सामान्य वर्ग को भी आरक्षण सुविधा दी जाए।
  2. आरक्षण बिल अगर पास हो गया तो इसका लाभ लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा।
  3. इसके अलावा गरीब ईसाइयों और मुस्लिमों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।
  4. आरक्षण का लाभ लेने के लिए नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा क्षेत्रफल का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए।
  5. आरक्षण का लाभ लेने के लिए जाति प्रमाणपत्र और आय प्रमाण पत्र भी देना होगा।

कांग्रेस का विरोध-
आज केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किया गया। खबर है कि कांग्रेस ने संसद से वाकआउट कर दिया है। वहीं सपा और बसपा सहित कई विपक्षी दलों ने इस बिल का समर्थन किया है। संसद का शीतकालीन सत्र आठ जनवरी को खत्म हो रहा था लेकिन राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ा दी गई है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि राज्यसभा की कार्यवाही बढ़ाने के पीछे का मकसद इस बिल को पास करना है।

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