‘विवाह से पहले संबंध टूटने का कारण प्री वेडिंग शूट और डांस भी हो सकते हैं’

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परिवार वाले धूमधाम से लड़के-लड़की की सगाई करते हैं। लड़के और लड़की के माता-पिता में कोई विवाद नहीं होता, लेकिन सगाई के थोड़े ही दिनों पता चलता है कि लड़के लड़की के विचारनहीं मिल रहे हें। विवाह से पहले ही दोनों के बीच संबंध खत्म हो रहे हैं या फिर संबंधों में दरार आ गई है। समाज में ऐसी घटनाएं आए दिन हो रही हैं। इससे समाज में तनाव भी व्याप्त हो रहा है।

लड़के-लड़की के हालातों और विचारों को देखते हुए रिश्तेदार और पहचान वाले रिश्ते बताने से भी कतराते हैं। समाज के इन हालातों को देखते हुए ही मध्यप्रदेश में गुजराती, जैन और सिन्धी समुदाय की कुछ संस्थाओं ने प्री-वेडिंग शूट, डांस आदि के आयोजनों पर रोक लगाने का फैसला किया है। यानि संस्थाओं से जुड़े परिवार के लड़के-लड़कियां विवाह से पहले प्री वेडिंग शूट के लिए किसी हिल स्टेशन पर नहीं जाएंगे और न ही विवाह से पहले संयुक्त डांस करेंगे। फैसला लेने वाली संस्थाओं का मानना है कि प्री वेडिंग शूट जैसे कार्यक्रमों से फिजूलखर्ची तो होती ही है। साथ ही अप्रिय घटनाएं हो जाती है। कई बार ऐसे कारण संबंधों को खत्म कर देते हैं। प्री वेडिंग शूट जैसे कार्यक्रम भारत की सनातन संस्कृति के विरूद्व भी हैं। ऐसे आयोजन पश्चिम की खुली संस्कृति के प्रतीक हें। भारतीय समाज में अब प्री वेडिंग शूट की होड़ लग गई हैं। हालांकि उपभोक्तावादी माहौल और पश्चिम की खुली संस्कृति को स्वीकारने वाले लोग इस रोक से सहमत नहीं होंगे। नारी स्वतन्त्रता की झंडाबरदार प्रगतिशील लेखक भी रोक के विरोध में विचार व्यक्त करेंगे, लेकिन यह सही है कि समाज में विवाह से पहले ही संबंध टूट रहे हैं। संबंध टूटने का एक कारण प्री वेडिंग शूट भी हो सकता है। असल में आज के लड़के लड़कियां जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षी हो गए हैं।

जो लड़कियां किसी कम्पनी में नौकरी करती हैं, उनकी सोच तो परिवार से एकदम अलग हो जाती है। ऐसी लड़कियां अपने स्तर पर ही लड़के का चयन करती है। कई बार विवाह के बाद ऐसे प्रेम विवाह तलाक में तब्दील हो जाते हैं। यह माना कि महिलाओं को स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन महिलाओं को भी परिवार से जुड़ा रहना चाहिए। आज जो लड़की किसी मल्टीनेशनल कम्पनी में मोटे वेतन पर कार्य कर रही है कल उसे अपना घर भी बसाना है। महिलाओं से परिवार अच्छा लगता है। हमारी संस्कृति में तो महिलाओं को खासकर लड़कियों को देवी का स्वरूप माना गया है। परिवार खुशहाल होगा तो समाज और देश अच्छा होगा। समाज-परिवार को बुराईयों से बचना ही चाहिए।

ब्लॉग : देव प्रकाश

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