लाखो की लागत का मुखर्जी उद्यान देखरेख के बाद अभाव में हुआ उजाड़

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शाहपुरा। शाहपुरा कस्बे के मांडल सांगानेर मेगा हाईवे पर भीलवाड़ा रोड पर करीब 4 बीघा भूमि पर बना श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्यान इन दिनों पालिका बोर्ड की उदासीनता के चलते दुर्दशा का शिकार हो गया है।जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 में तत्कालीन पालिका बोर्ड के चेयरमैन रघुनंदन सोनी के प्रयासों से सुरक्षित पड़ी जमीन पर उद्यान बनाने का कार्य प्रारंभ हुआ जो करीब 2 वर्ष चला और 80 लाख की लागत से वर्ष 2014 में आमजन को समर्पित कर दिया गया। पालिका बोर्ड द्वारा इस हेतु लाइट, रेलिंग, सीसी रोड, 100 गुणा 100 फ़ीट का पानी का पोंड निर्माण हेतु अलग-अलग टेंडर लिए गए थे तथा कस्बे की आवश्यकता को देखते हुए 500मीटर का ट्रैक तथा 100 गुना 100 मीटर का पोंड भी बनाया गया। जिसमें फव्वारे लगाए गए तथा बोट भी लाई गई। जिससे बच्चों के मनोरंजन हेतु बोटिंग की सुविधा भी कुछ समय के लिए प्रारंभ की गई थी।आमजन के घूमने के लिए भी 500 मीटर के ट्रेक में सीसी ब्लॉक लगाए गए तथा चारों तरफ रेलिंग भी लगाई गई।लाखो की लागत से विशेष घास भी लगाई गई। तथा पौधों को पानी पिलाने के लिए ट्यूबवेल लगाए गए। वर्तमान में पालिका बोर्ड की अनदेखी के चलते लाखों की लागत से बना उद्यान दुर्दशा का शिकार हो गया है। उद्यान के अंदर लाखों की लागत से लगे जिम के उपकरण तथा बच्चों के मनोरंजन के चकरी झूले टूट कर जर्जर हो गए हैं। जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते किसी ने इस दिशा में ध्यान नहीं दिया। बगीचे में कुल 4 ब्लॉक बने हैं जिनमें लाखों रुपए खर्च करके घास लगाई गई मगर देखरेख के अभाव में करीब 4 फीट की गाजर घास तथा कटीली झाड़ियां उगी हुई है तथा ट्रैक के चारों तरफ गाजर उगी हुई है। रोज घूमने आने वालों को जंगली जीवो का डर बना रहता है।वही सीसी ब्लॉक भी जगह-जगह से टूट गए हैं।हाल ही में आमजन की सुविधा को लेकर बगीचे के अंदर ही सुलभ कांप्लेक्स का निर्माण कराया गया था। जिस पर निर्माण के बाद से ताला लगा हुआ है। पूर्व पालिका अध्यक्ष रघुनंदन सोनी ने बताया कि आमजन की सुविधा को देखकर तत्कालीन बोर्ड ने कई सुविधाएं विकसित की थी। जिनमें करीब 80 लाख रुपए की लागत से बगीचे का निर्माण किया था। जिसमें तत्कालीन सांसद वी पी सिंह द्वारा अपने कोटे से 2500000 रुपए की सहायता दी गई थी।जबकि शेष राशि पालिका बोर्ड द्वारा स्वीकृत करके पालिका मद से व्यय की गई थी। वर्तमान में दुर्दशा के चलते फव्वारे बंद पड़े हुए हैं। पौंड के अंदर काई जमी हुई है तथा बोटिंग को बंद हुए अरसा हो चुका है। दिनभर बगीचे में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है।अनदेखी के चलते जहां सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ है वहीं आमजन में भी किरकिरी बनी हुई है।