क्या होता है मल्टीपल मायलोमा, जिस बीमारी से जूझ रहीं मशहूर गायिका शारदा सिन्हा

मल्‍टीपल मायलोमा को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है, हालांकि समय पर बीमारी की पहचान और इलाज से इसके लक्षणों को कम करने के साथ ही बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है।

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दिल्ली एम्स में भर्ती पद्म भूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। इस वजह से उन्हें सोमवार रात प्राइवेट वार्ड से आइसीयू में स्थानांतरित किया गया और उन्हें एम्स में वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया है।

शारदा सिन्हा वर्ष 2018 से मल्टीपल मायलोमा (Multiple Myeloma) से पीड़ित हैं। यह एक तरह ब्लड कैंसर है। उनकी तबीयत बिगड़ने पर 26 अक्टूबर को एम्स के कैंसर सेंटर में भर्ती किया गया था। तब उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा था। बाद में उनके स्वास्थ्य में सुधार होने पर उन्हें प्राइवेट वार्ड में स्थानांतरित किया गया। लेकिन एकबार फिर उनकी तबीयत बिगड़ गई है।

क्या है मल्टीपल मायलोमा
मल्टीपल मायलोमा कैंसर काफी खतरनाक है। मरीज की उम्र और कैंसर की स्‍टेज के आधार पर इसका आउटकम रहता है।अमूमन 40 से 82 फीसदी लोगों का सर्वाइवल रेट करीब 5 साल रहता है। मल्‍टीपल मायलोमा से ग्रस्‍त करीब 85 फीसदी मरीज एक साल तक जीवित रह पाते हैं। जबकि 55 फीसदी लोग 5 साल या उससे ज्‍यादा जी लेते हैं। 30 फीसदी मरीज ही ऐसे होते हैं जो जल्‍दी डायग्‍नोसिस और सही इलाज के बाद 10 साल तक जी जाते हैं।

मल्‍टीपल मायलोमा के लक्षण

. कमर की हड्डी में दर्द, खासतौर पर स्‍पाइन, हिप्‍स या सीने में दर्द और इन्‍फेक्‍शन
. कब्‍ज
. उल्‍टी
. भूख खत्‍म होना
. मेंटल फॉग या कन्‍फ्यूजन
. थकान
. वजन घटना

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मल्‍टीपल मायलोमा कैसे पता चलता है
इस बीमारी का पता दो तरह से लगाया जाता है। ब्‍लड टेस्‍ट और बोन मैरो टेस्‍ट से यह पता चल जाता है कि कौन सी स्‍टेज का मायलोमा है। साथ ही कौन सा लक्षण ज्‍यादा रिस्‍क पैदा कर रहा है। जैसे स्‍पाइनल दर्द, रीनल फेलियर या चेस्‍ट इन्‍फेक्‍शन आदि। लिहाजा रिस्‍क को लो और हाई में केटेगराइज करके मरीजों को इलाज दिया जाता है। इसके लिए कुछ और टेस्‍ट व पैरामीटर्स भी होते हैं, जिसके आधार पर कैंसर कहां कहां फैला है इसका भी पता किया जाता है।

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क्या है मल्‍टीपल मायलोमा का इलाज
मल्‍टीपल मायलोमा को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है, हालांकि समय पर बीमारी की पहचान और इलाज से इसके लक्षणों को कम करने के साथ ही बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है।

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कितना सीरियस है शारदा सिन्हा का केस
शारदा सिन्हा इस वक्त वेंटिलेटर पर है। मरीज के आईसीयू में जाने के बाद बचने की संभावना की बात है तो आईसीयू में मरीज चेस्‍ट इन्‍फेक्‍शन कंट्रोल के लिए ही जाता है। अगर यह इन्‍फेक्‍शन कंट्रोल हो जाता है तो मरीज बच जाता है। शारदा सिन्‍हा के मामले में भी यही बात है।

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कौन हैं शरद सिन्हा?
बिहार के हुलास जिले में 1 अक्टूबर 1952 को जन्मी शारदा सिन्हा ने बिहार के लोक संगीत को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भोजपुरी, मैथिली और मगधी संगीत में उन्होंने योगदान दिया। मशहूर शारदा सिन्हा के ‘छठ गीतों’ ने हर आयु वर्ग को प्रभावित किया है, जिससे उन्हें अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़ाव का एहसास होता है।

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