क्यों की जाती है तुलसी की पूजा और जानें क्या है विवाह की विधि और मंत्र

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हिन्‍दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी यानी कि देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) को तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का आयोजन किया जाता है. कई जगह इसके अगले दिन यानी कि द्वादशी को भी तुलसी विवाह किया जाता है. जो लोग एकादशी को तुलसी विवाह करवाते हैं वे इस बार 8 नवंबर 2019 को इसका आयोजन करेंगे. वहीं, द्वादशी तिथि को मानने वाले 9 नवंबर 2019 को तुलसी विवाह करेंगे.

तुलसी विवाह की तिथि और शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन किया जाता है, लेकिन कई जगहों पर इस विवाह को द्वादशी तिथि को भी करते हैं.
देवउठनी एकादशी की तिथि: 8 नवंबर 2019
एकादशी तिथि आरंभ: 07 नवंबर 2019 की सुबह 09 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक
द्वादशी तिथि: 9 नवंबर 2019
द्वादशी तिथि आरंभ: 08 नवंबर 2019 की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से
द्वादशी तिथि समाप्‍त: 09 नवंबर 2019 की दोपहर 02 बजकर 39 मिनट तक

तुलसी विवाह की पूरी विधि
 परिवार के सभी सदस्‍य और विवाह में शामिल होने वाले सभी अतिथि नहा-धोकर व अच्छे कपड़े पहनकर तैयार हो जाएं.
 जो लोग तुलसी विवाह में कन्‍यादान कर रहे हैं उन्‍हें व्रत रखना जरूरी है.
 शुभ मुहूर्त के दौरान तुलसी के पौधे को आंगन में पटले पर रखें. आप चाहे तो छत या मंदिर स्थान पर भी तुलसी विवाह किया जा सकता है.
 अब एक अन्‍य चौकी पर शालिग्राम रखें. साथ ही चौकी पर अष्‍टदल कमल बनाएं.
 अब उसके ऊपर कलश स्‍थापित करें. इसके लिए कलश में जल भरकर उसके ऊपर स्‍वास्तिक बनाएं और आम के पांच पत्ते वृत्ताकार रखें. अब एक लाल कपड़े में नारियल लपेटकर आम के पत्तों के ऊपर रखें
 तुलसी के गमले पर गेरू लगाएं. साथ ही गमले के पास जमीन पर गेरू से रंगोली भी बनाएं.
 अब तुलसी के गमले को शालिग्राम की चौकी के दाईं ओर स्‍थापित करें.
 अब तुलसी के आगे घी का दीपक जलाएं.
 इसके बाद गंगाजल में फूल डुबोकर “ऊं तुलसाय नम:” मंत्र का जाप करते हुए गंगाजल का छिड़काव तुलसी पर करें.
 फिर गंगाजल का छिड़काव शालिग्राम पर करें.
 अब तुलसी को रोली और शालिग्राम को चंदन का टीका लगाएं.
 तुलसी के गमले की मिट्टी में ही गन्‍ने से मंडप बनाएं और उसके ऊपर सुहाग की प्रतीक लाल चुनरी ओढ़ाएं.
 इसके साथ ही गमले को साड़ी को लपेटकर तुलसी को चूड़ी पहनाकर उनका श्रृंगार करें.
 अब शालिग्राम को पंचामृत से स्‍नान कराकर पीला वस्‍त्र पहनाएं.
 तुलसी और शालिग्राम की हल्दी करें. इसके लिए दूध में हल्दी भिगोकर लगाएं.
 गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप लगाएं.
 अब पूजन करते हुए इस मौसम आने वाले फल जैसे बेर, आवंला, सेब आदि चढ़ाएं.
 अब शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात परिक्रमा कराएं. घर के किसी पुरुष सदस्‍य को ही शालिग्राम की चौकी हाथ में लेकर परिक्रमा करनी चाहिए.
 इसके बाद तुलसी को शालिग्राम के बाईं ओर स्‍थापित करें.
 आरती उतारने के बाद विवाह संपन्‍न होने की घोषणा करें और वहां मौजूद सभी लोगों में प्रसाद वितरण करें.
 तुलसी और शालिग्राम को खीर और पूरी का भोग लगाया जाता है.
 तुलसी विवाह के दौरान मंगल गीत भी गाएं.

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