हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। साथ ही पूजा, जप-तप एवं दान किया जाता है। धार्मिक मत है कि पौष पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। आइए, पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानें…
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को प्रातः काल 05 बजकर 03 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, पूर्णिमा तिथि का समापन 14 जनवरी को देर रात 03 बजकर 56 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी। पौष पूर्णिमा पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 15 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 10 बजकर 38 मिनट पर हो रहा है। साथ ही पूर्णिमा तिथि पर भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
कैसे करें पूजा?
पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु को प्रणाम करें। इसके बाद दिन की शुरुआत करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो गंगा स्नान करें।
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महाकुंभ मेला कब से है?
पौष पूर्णिमा से महाकुंभ मेला (Mahakumbh Mela 2025) की शुरुआत हो रही है। इस दौरान पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन किया जाएगा। वहीं, 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन दूसरा शाही स्नान किया जाएगा। इसके बाद 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन तीसरा शाही स्नान किया जाएगा। वहीं, 02 फरवरी को वसंत पंचमी के दिन चौथा शाही स्नान किया जाएगा। 12 फरवरी यानी माघ पूर्णिमा को पांचवा शाही स्नान किया जाएगा। जबकि, 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन आखिरी शाही स्नान किया जाएगा।
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