Yoga Day: योग से दूर करें मोटापा सहित इन बीमारियों को

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21 जून को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ( International Day of Yoga) मनाया जाएगा। ऐसे में आपको बताते हैं उन योग के बारें में जिनको करने से आपको बड़ी-बड़ी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। इसके साथ ही इन दिनों मोटापा और डिप्रेशन की भी खासी समस्या भी योगा से दूर की जा सकती है। तो चलिए जानिए ऐसे योगासन के बारें में…

सर्वांगासन- दरी या कम्बल बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को धीरे-धीरे उठाकर 90 डिग्री तक लाएं। बाहों और कोहनियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएं कि वह कन्धों पर सीधा खड़ा हो जाए। पीठ को हाथों का सहारा दें। इस आसन के नियमित अभ्यास से थायराइड सक्रिय एवं स्वस्थ होता है। इसके अलावा  मोटापा, दुर्बलता, कद वृद्धि की कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं। यह आसन मोटापा कम करने के आयुर्वेदिक उपाय एड्रिनल, शुक्र ग्रंथि एवं डिम्ब ग्रंथियों को सबल बनाता है।

भ्रामरी- ध्यान के आसान में बैठें। आसन में बैठकर रीढ़ को सीधा कर हाथों को घुटनों पर रखें। तर्जनी को कान के अंदर डालें। दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे-धीरे ओम शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज में कंठ से भौंरे के समान गुंजन करें। नाक से श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें। पूरा श्वास निकाल देने के पश्चात भ्रमर की मधुर आवाज अपने आप बंद होगी। इस आसन से वाणी तथा स्वर में मधुरता आती है। ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद है। मन की चंचलता दूर होती है एवं मन एकाग्र होता है। पेट के विकार खत्म होते हैं और उच्च रक्त चाप पर नियंत्रण में रहता है।


कपालभाति – कपालभाति प्राणायाम में पेट के पिचकाने और फुलाने की क्रिया पर जोर दिया जाता है। इस प्राणायाम को यथाशक्ति अधिक से अधिक करें। इसे करने से हृदय, फेफड़े एवं मष्तिष्क के रोग दूर होते हैं। कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है। मोटापा, मधुमेह, कब्ज एवं अम्ल पित्त के रोग दूर होते हैं एवं मस्तिष्क और मुख मंडल का ओज बढ़ता है।


अर्द्धमत्स्येन्द्रासन- दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें। बांए पैर को मोड़कर एडी को नितम्ब के पास लगाएं। बांए पैर को दांए पैर के घुटने के पास बाहर की ओर भूमि पर रखें। बांए हाथ को दांए घुटने के समीप बाहर की ओर सीधा रखते हुए दांए पैर के पंजे को पकडे़ं। दांए हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओर देखें। इस आसन से मधुमेह एवं कमरदर्द में खत्म करने में मदद करता है। इसके अलावा पेट विकारों के लिए, आंखों को बल प्रदान करने के लिए भी लोग इस आसन को करते हैं।

गोरक्षासन– दोनों पैरों की एड़ी तथा पंजे आपस में मिलाकर सामने रखिए। अब सीवनी नाड़ी (गुदा एवं मूत्रेन्द्रिय के मध्य) को एडियों पर रखते हुए उस पर बैठ जाइए। दोनों घुटने भूमि पर टिके हुए हों। हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटनों पर रखें। इस मुद्रा का नियमित अभ्यास करें. इससे मांसपेशियो में रक्त संचार ठीक रूप से होकर वे स्वस्थ होती हैं। मूलबंध को स्वाभाविक रूप से लगाने और ब्रम्हचर्य कायम रखने में यह आसन सहायक है. इन्द्रियों की चंचलता समाप्त कर मन में शांति प्रदान करता है।


21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस?
21 जून के दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए चुनने की भी एक खास वजह है। दरअसल यह दिन उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति भी कह सकते हैं। भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी है। इसी कारण 21 जून का दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाने के लिए निर्धारित किया गया था।

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