बीमारियों का घर है सैनिटरी नैपकिन्स, कैंसर का सबसे बड़ा खतरा

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लाइफस्टाइल डेस्क: सैनिटरी नैपकिन महिलाओं के लिए एक जरूरी चीज है। इसके साथ ही सैनिटरी नैपकिन्स जितने जरूरी है उतने हानिकारक भी। अब आप सोचेंगे कि ब्लड हानिकारक कैसे हो सकता है लेकिन यहां हम ब्लड की नहीं बल्कि सैनिटरी नैपकिन की बात कर रहे हैं। ये नैपकिन्स पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। इन पैड्स को बनाने के लिए प्लास्टिक के साथ-साथ कई कैमिकल्स का भी उपयोग किया जाता है। अब कैमिकल्स आपकी बॉडी को और प्लास्टिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। आज इस खबर में सैनिटरी नैपकिन से होने वाली बीमारियों को हम बताने जा रहे हैं।

कैंसर: सैनिटरी नैपकिंस तुरंत कैंसर का कारण नहीं होते लेकिन अगर इनका इस्तेमाल लंबे समय तक बार-बार किया जाए तो इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। कुछ नैपकिंस में ऐसे केमिकल्स इस्तेमाल किए गए होते हैं जो मानव शरीर में प्रवेश कर उसकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।

पैड्स में मौजूद कीटनाशक: सैनिटरी पैड्स दो तरह के होते हैं, जेल पैड्स और कॉटन पैड्स। अगर आप कॉटन पैड्स को ज्यादा सेफ मानती हैं तो आप गलत हैं। दरअसल कॉटन पैड्स कॉटन प्लांट से बने होते हैं। कॉटन प्लांट्स की पैदावार के दौरान उसमें कीटनाशक और तृणनाशक केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है। जब आप इन पैड्स का इस्तेमाल करती हैं तो कीटनाशकों के कुछ अंश आपके रक्त में प्रवेश करते हैं और आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं।

प्रजनन क्षमता पर दुष्प्रभाव: मासिक धर्म के दौरान स्राव से आने वाले अप्रिय दुर्गंध को रोकने के लिए कुछ पैड्स में सुगंध आदि का इस्तेमाल किया जाता है। यह बेहद नुकसानदेह होता है। ऐसे पैड्स का इस्तेमाल भ्रूण विकास और आपकी प्रजनन क्षमता दोनों पर बुरा असर डालता है।

किस तरह पैड्स इस्तेमाल करें- बाजार में कई इको फ्रेंडली पैड्स (बायोडिग्रेडबल नैपकिन) मौजूद है आप उनका इस्तेमाल कर सकते हैं इसके साथ ही कुछ ऐसे पैड्स भी जिनकों आप यूज करके वॉश करके नेस्ट टाइम के लिए फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि समय-समय के साथ आपको इनको चेंज करना होगा लेकिन ये प्लास्टिक और कैमिकल्स पैड्स से काफी बेहतर हैं।

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क्या है मेन्स्ट्रुअल कप: मासिक धर्म में इस्तेमाल करने के लिए सैनिटरी पैड्स के कई विकल्प मौजूद हैं। इनमें से ही एक है मेन्स्ट्रुअल कप। यह एक लचीला सिलिकॉन कप होता है जो आराम से वेजिना में इन्सर्ट कराए जा सकते हैं।

कैसे करना है इस्तेमाल
मेंस्ट्रुअल कप्स को पहले सी-शेप में फोल्ड करें और फिर वजाइना में इन्सर्ट कर लें। इसे लगाते ही ये अपने आप वजाइना की बाहरी लेयर में फिट हो जाएगा। यानी ये आपके वजाइना को पूरी तरह सील कर देगा। इसे लगाने के बाद हल्का घुमाकर देखें कि ये अच्छे से लगा है या नहीं। इसे 12 घंटे तक चेंज करने की जरूरत नहीं पड़ती।

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क्या होगा फायदा
सैनिटरी नैपकिन और टैम्पॉन में लगा ब्लड लंबे समय तक आपके वजाइना के आप-पास लगा रहता है, लेकिन मेंस्ट्रुअल कप्स में नहीं होता। इसमें ब्लड कप में इकठ्ठा होता रहता है, जिस वजह से कभी भी TSS (टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम) नहीं होता। ये एक रेयर बैक्टिरियल बीमारी है जो लंबे समय तक गीले नैपकीन और टैम्पॉन को इस्तेमाल करने से होती है।

दिन में कितनी बार बदले पैड्स: आमतौर पर पीरियड्स में 6 से 12 चम्मच ब्लड निकलता है ऐसे में आपको लगभग हर चार घंटे में पैड्स को बदल लेना चाहिए। सामान्य ब्लड इतना ही निकलता है अगर किसी को ज्यादा ब्लिडिंग होती है तो वह 2 घंटे में पैड्स बदल सकता है। साथ ही डॉक्टर की सलाह भी ले।

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