दावा: ह्यूमन बॉडी में मिला प्लास्टिक, इन गंभीर बीमारियों का बढ़ा खतरा, पढ़ें ये पूरी खबर

खून में प्लास्टिक के कणों का मिलना। अब सोचने वाली बात ये है कि आदमी भला प्लास्टिक क्यों खाएगा फिर ये प्लास्टिक खून में कैसे मिल रहा है?

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लाइफस्टाइल डेस्क- नीदरलैंड की पिछले दिनों यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम के मेडिकल सेंटर में एक रिसर्च की गई। जो अब चर्चा में आ गई है। दरअसल, इस रिसर्च में 22 स्वस्थ लोगों के खून के सैंपल लिए गए थे। इसके बाद जांच करने पर पता चला कि इनमें से 17 ब्लड डोनर के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है। आसान भाषा में कहें तो खून में प्लास्टिक के कणों का मिलना। अब सोचने वाली बात ये है कि आदमी भला प्लास्टिक क्यों खाएगा फिर ये प्लास्टिक खून में कैसे मिल रहा है?

रिसर्च कर रहे प्रोफेसर डिक वेथाक ने कहा कि वह और उनकी टीम इन 22 लोगों के खून में 700 नैनोमीटर से बड़े सिंथेटिक पॉलिमर का पता लगा रहे थे। इस दौरान उन्हें 17 लोगों के खून में पॉलीइथिलीन टेरेफ्थलेट और स्टायरीन पॉलिमर के बने माइक्रोप्लास्टिक मिले हैं। यह पहली बार हुआ है जब इंसान के खून में प्लास्टिक के मिले होने का पता चला है।

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पर्यावरण और मौसम पर रिसर्च करने वाली दुनिया के टॉप इंस्टीट्यूट नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फियरिक (NOAA) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 5 मिलीमीटर से छोटे यानी 0.2 इंच के आकार या इससे छोटे प्लास्टिक के कण ही माइक्रोप्लास्टिक कहलाते हैं।

रिसर्चर का कहना है कि प्लास्टिक के कण हमारे शरीर के अंदर खाने-पीने के सामान और सांस लेने के दौरान हवा के जरिए पहुंचते हैं। ये छोटे-छोटे प्लास्टिक के कण हवा में तैर रहे होते हैं और कई बार तो ये बारिश के जरिए भी पीने के पानी में मिल जाते हैं। यही नहीं, प्लास्टिक की बोतल से पानी पीते वक्त या फिर किसी प्लास्टिक के पैकेट में खाने की पैकेजिंग की वजह से भी माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में हार्ट तक पहुंच जाता है।

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माइक्रोप्लास्टिक कैसे पहुंचता है शरीर में-
प्लास्टिक बोतल- 94 माइक्रोप्लास्टिक, चीनी-0.44, पानी के नल- 4 माइक्रोप्लास्टिक, हवा-9 माइक्रोप्लास्टिक, बीयर-32माइक्रोप्लास्टिक। ऊपर दी गई सभी चीजों के द्वारा इतना प्रतिशत माइक्रोप्लास्टिक आपके शरीर में आसानी से प्रवेश करता है। इसके अलावा टूथब्रश से भी 1.6 माइक्रोप्लास्टिक आपके शरीर में पहुंच सकता है।

माइक्रोप्लास्टिक से कौन-कौन सी हो सकती हैं बीमारिया-
इंसान हर साल करीब 1,04,000 माइक्रोप्लास्टिक के कणों को निगल जाते हैं। माइक्रोप्लास्टिक के निगलने के कई खतरे हैं। जैसे- प्लास्टिक बनाने में बिस्फेनॉल-ए (BPA) केमिकल का इस्तेमाल होता है, जो माइक्रोप्लास्टिक में मिला होता है। इससे भविष्य में कैंसर होने की आशंका होती है। खून में प्लास्टिक के कण मिलने की वजह से ब्लड प्रेशर में वृद्धि हो सकती है। माइक्रोप्लास्टिक के कारण हमारे लिवर और किडनी को भी नुकसान हो सकता है।

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