31 अगस्त को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) पर गणेशजी की स्थापना और पूजा के लिए दिनभर में कुल 6 शुभ मुहूर्त रहेंगे। सुबह 11.20 बजे से दोपहर 01.20 बजे तक का समय सबसे अच्छा रहेगा, क्योंकि इस वक्त मध्याह्न काल रहेगा, जिसमें गणेश जी का जन्म हुआ था। इसबार बुधवार को चतुर्थी है जोकि एक अच्छा शुभ सकेंत हैं।
इसके अलावा गणेश चतुर्थी के दिन बुधवार का संयोग तो है ही, इस दिन रवि योग भी बन रहा है। इन दो विशेष योगों के कारण गणेश चतुर्थी का महत्व और बढ़ गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रवि योग में गणेश जी की पूजा करने से सभी कष्टों का नाश होता है और कार्यों में सफलता मिलती है। रवि योग सभी अशुभ योगों को नष्ट कर देता है।
31 अगस्त से 9 सितम्बर तक कई शुभ दिन-
अकेले चतुर्थी ही शुभ नहीं है, बल्कि 31 अगस्त से 9 सितंबर के बीच 7 दिन अच्छे योग भी बन रहे हैं। इन सात दिनों में आप सिर्फ गणपति की पूजा ही नहीं, बल्कि अपने लिए कई शुभ काम जैसे नए बिजनेस की शुरुआत से लेकर घर और वाहन खरीदने तक के काम कर सकते हैं।
गणेश स्थापना नहीं की तो क्या करें?
पूरे गणेशोत्सव में हर दिन गणपति के मंत्र का जाप करने से भी पुण्य मिलता है। सुबह नहाने के बाद गणेशजी के मंत्रों को पढ़कर अन्य काम करें।
1. गणेश मनोकामना पूर्ति मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
2. ग्रह दोष निवारण गणेश मंत्र
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
3. बिगड़े कार्यों को सफल बनाने का मंत्र
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
4. गणेश जी को प्रसन्न करने का मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
5. गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात्।
6. गणपति षडाक्षर मंत्र: आर्थिक तरक्की के लिए
ओम वक्रतुंडाय हुम्
7. रोजगार प्राप्ति का गणेश मंत्र
ओम श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
8. सुख समृद्धि के लिए गणेश मंत्र
ऊं हस्ति पिशाचिनी लिखे स्वाहा
गणपति पूजा से जुड़ी ध्यान रखने वाली बातें
1. गणेश जी की मूर्ति पर तुलसी और शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
2. दूर्वा और मोदक के बिना पूजा अधूरी रहती है।
3. गणपति के पसंदीदा फूल: जाती, मल्लिका, कनेर, कमल, चम्पा, मौलश्री (बकुल), गेंदा, गुलाब
4. गणपति के पसंदीदा पत्ते: शमी, दूर्वा, धतूरा, कनेर, केला, बेर, मदार और बिल्व पत्र
5. पूजा में नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें।
6. चमड़े की चीजें बाहर रखकर पूजा करें और भगवान को अकेले कभी न छोड़ें।
7. स्थापना के बाद मूर्ति को इधर-उधर न रखें, यानी हिलाएं नहीं।
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