Chhath Puja 2024: 36 घंटे के महापर्व छठ पूजा का शुभ मुहूर्त, साम्रगी, सूर्य अर्घ्य का महत्व, जानें सबकुछ

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया को ब्रह्मा जो की मानस पुत्री के रूप में माना जाता है। वहीं बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी माता के इस स्वरूप की पूजा की जाती है।

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लोकआस्था के महापर्व छठ (Chhath Puja 2024) की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय खाय से हो रही है। छठ को सबसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है। क्योंकि इसमें पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखना पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपकी कोई मनोकामना है, तो छठ पर्व शुभ फलदायी मानी जाती है। वहीं छठ पूजा की शुरूआत नहाय-खाय से शुरू होती है और इसका समापन सूर्यदेव को सुबह अर्घ्य देने के बाद होता है।

खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्यों में छठ पूजा श्रद्धा, आस्था और उत्साह के साथ मनाई जाती है। नहाय खाय के साथ छठ की शुरुआत होती है और उषा अर्घ्य के साथ पर्व का समापन होता है। यह ऐसा धार्मिक पर्व है जो पारिवारिक रिश्तों को मजबूत बनाता है, अपनों को करीब लाता है और प्रकृति से जोड़ता है। इसमें पवित्र स्नान, उपवास, उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देना आदि शामिल है।

छठ पूजा कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का महापर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। वहीं इस साल षष्ठी तिथि का आरंभ 07 नवंबर को देर रात 12 बजकर 41 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 08 नवंबर को देर रात 12 बजे इसका समापन होगा। आप 07 नवंबर को शाम का अर्घ्य देंगे और 08 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा।

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  • नहाय खाय (Nahay Khay Date)- मंगलवार 5 नवंबर 2024
  • खरना (Kharna Date)- बुधवार 6 नवंबर 2024
  • संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya Date)- गुरुवार 7 नवंबर 2024
  • उषा अर्घ्य (Usha Arghya Date)- शुक्रवार 8 नवंबर

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छठ पूजा की साम्रगी

  • नई साड़ी
  • बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां
  • एक कलश (तांबा, सोना)
  • पीतल की थाली
  • बांस से बनी सूप
  • 5 या 11 गन्ने
  • शकरकंदी
  • पान और सुपारी
  • हल्दी
  • मूली और अदरक
  • मीठा डाभ नींबू
  • शरीफा
  • केला
  • नाशपाती
  • सिंघाड़ा
  • पानी वाला नारियल
  • मिठाई
  • गुड़
  • गेहूं
  • चावल का आटा
  • ठेकुआ
  • चावल
  • सिंदूर
  • कलावा
  • दीपक
  • शहद
  • धूप
  • कुमकुम
  • सुथनी

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छठ पूजा का क्या है महत्व
छठ पूजा के लिए विशेष रूप से सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा के लिए सूर्यदेव और माता छठी की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। छठ का व्रत चार दिनों का सबसे कठिन व्रत माना जाता है। आपको बता दें, सूर्यदेव को जीवनदाता माना जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना करने से मान-सम्मान के साथ सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। छठी मैया को संतान की देवी माना जाता है। इस पर्व में छठी मैया की उपासना करके लोग संतान की सुख-समृद्धि की कामना करते है।

वहीं, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया को ब्रह्मा जो की मानस पुत्री के रूप में माना जाता है। वहीं बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी माता के इस स्वरूप की पूजा की जाती है। ताकि बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहे और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्ति हो सके।

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