Bihu 2023: आज असम में होगी बिहू से नववर्ष की शुरुआत, जानें कैसे हुआ बिहू नृत्य गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

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भारत विभिन्नताओं का देश है..जहां पूरी दुनिया नया साल का जश्न मना चुकी है वहीं असम के लोग कल यानी 14 अप्रैल 2023 को अपना नया साल मनाएंगे। दरअसल असम का मुख्य त्योहार बोहाग बिहू (Bohag Bihu) माना जाता है। असम और उत्तर पूर्वी राज्यों में बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है लेकिन बोहाग बिहू का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन से असम में नव वर्ष (New Year of Assam) का प्रारंभ माना जाता है। यह फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है।

इस बार ये पर्व इसलिए खास है क्योंकि इस बार बिहू के दौरान एक विश्व रिकॉर्ड भी कायम होने जा रहा है। दरअसल, बिहू के मौके पर असम, मणिपुर और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में बिहू डांस भी होता है। इस बार असम में ये पर्व जोर शोर से मनने वाला है। इस डांस में इस बार 11 हजार कलाकार शिरकत करेंगे। असम के केसुरसजाई इंडोर स्टेडियम में होने से इस पर्व से नया विश्व रिकॉर्ड भी कायम होगा।

क्या है बोहाग बिहू-
बिहू असम और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों का खास त्योहार है, जो साल में तीन बार मनाया जाता है। इन तीन बीहू के नाम होते हैं रोंगाली, भोगली और कोंगाली बिहू। जिसमें से रोंगाली बिहू का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है। जो 14 और 15 अप्रैल को मनाया जाता है।

जिस तरह दूसरे प्रांतों में फसल कटाई के वक्त को किसी पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है. उसी तरह बिहू भी फसल कटाई की खुशी का ही एक पर्व है। इस खास दिन को और खास बनाने के लिए गायों को नई रस्सी से बांधी जाती है। उन्हें इस दिन खुला नहीं छोड़ते बल्कि टोकरी में ही खाने का सामान सजा कर देते है। जिसमें लौकी, बैंगन जैसी सब्जियां शामिल होती हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक कार्यक्रम कर, पर्व की खुशियां मनाई जाती हैं। जिसमें बिहू डांस खास माना जाता है।

बने ये दो कीर्तिमान
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, हमने आज गुवाहाटी के सरुसाजई में दो विश्व रिकॉर्ड के लिए प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस दौरान 11,304 बिहू नासनियों और ढोलियों ने हिस्सा लिया। इससे पहले एक साथ इस तरह का बिहू नृत्य कहीं नहीं हुआ। यह एतिहासिक पल है। हमने नया कीर्तिमान रचा। हमारे युवा साथियों ने कर दिखाया। यह एक तरह से टीमवर्क है। इतनी बड़ी संख्या में नृत्य करते देखना ही मन को गदगद करने वाला था। 2548 धुलिया ने इसमें हिस्सा लिया। इससे पहले 1356 ढोल का जो रिकॉर्ड था, उसे आज हमारे युवाओं ने तोड़ दिया। आज 2548 ढोलियों ने ढोल बजाकर भी विश्व कीर्तिमान कायम किया।

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