Karwa chauth 2023: जानें करवा चौथ का व्रत समय, शुभ संयोग और पढ़ें कथा

अभीतक की जानकारी के मुताबिक, 1 नवंबर को करवा चौथ वाले दिन चंद्रोदय 8 बजकर 26 मिनट पर होगा। वहीं इस दिन शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।

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Karwa chauth 2023 News: करवा चौथ कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। साल 2023 में कई विशेष दिनों पर तिथियों का कन्फ्यूज बना रहा है।

इस बार करवा चौथ पर भी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 31 अक्तूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 30 मिनट से हो रही है। यह तिथि अगले दिन 1 नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि और चंद्रोदय के समय को देखते हुए करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा।

करवाचौथ पर बना विशेष संयोग
1 नवंबर को करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग का संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से 2 नवंबर को सुबह 04 बजकर 36 मिनट रहेगा। इसके अलावा 1 नवंबर की दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से शिवयोग शुरू हो जाएगा। इन दोनों शुभ संयोग की वजह से इस साल करवा चौथ का महत्व और बढ़ गया है।

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करवाचौथ पर चांद निकलने का समय
अभीतक की जानकारी के मुताबिक, 1 नवंबर को करवा चौथ वाले दिन चंद्रोदय 8 बजकर 26 मिनट पर होगा। वहीं इस दिन शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।

करवा चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, ए​क साहूकार की बेटी करवा थी और उसके 7 बेटे थे। सभी भाई अपनी बहन करवा से बहुत प्रेम करते थे. एक दिन उनकी बहन मायके आई और उसने व्रत रखा था। उस शाम उसके भाई अपने काम से लौटकर घर आए तो देखा कि उसकी बहन कुछ परेशान है। उन्होंने बहन से कारण जानना चाहा तो उसने बताया कि आज वह निर्जला व्रत है और चंद्रमा को जल अर्पित करे बिना पारण नहीं कर सकती है. चद्रमा के उदय न होने से वह भूख प्यास से व्याकुल थी।

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सभी भाई करवा की व्याकुलता से परेशान हो गए. उन से नहीं रहा गया। तक छोटे भाई ने एक उपाय सोचा और घर से दूर पीपल के पेड़ पर छलनी की ओट में एक दीपक ऐसे छिपा देता है, जैसे कि चंद्रोदय हो रहा हो। इसके बाद वह करवा को जाकर बताता है कि चंद्रोदय हो गया है। यह सुनकर करवा खुश हो जाती है और उसे चांद समझकर जल अर्पित करके पारण करने बैठ जाती है।

जैसे ही पहला निवाला डालती है तो उसे छीक आती है, दूसरा निवाला उठाती है तो उसमें बाल निकल आता है। जैसे ही वह तीसरा निवाला मुं​ह में डालती है तो उसे अपने पति के निधन की खबर सुनाई पड़ती है। यह सुनकर के वह बिलख पड़ती है. तभी उसकी भाभी उसे बताती है कि उसके छोटे भाई ने व्रत का पारण कराने के लिए क्या किया था। यह जानने के बाद करवा प्रण करती है कि व​ह अपने पति को फिर जीवित कराकर ही रहेगी।

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वह पूरे सालभर तक पति के शव के पास ही रहती है और उसके शव के पास सूई जैसी उगने वाली घासों को एकत्र करती रहती है. जब करवा चौथ का व्रत आता है तो उसकी सभी भाभियां व्रत रखती हैं और उसके पास आशीर्वाद लेने आती हैं तो अपनी हर भाभी से कहती है कि यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपने जैसे सुहागन बना दो। हर भाभी उसे दूसरी भाभी से यह निवेदन करने को कहती है।

जब वह छठवीं भाभी से कहती है तो वह उसे बताती है कि सबसे छोटे भाई के कारण ही तुम्हारा व्रत टूटा था, इसलिए तुम उसकी पत्नी से कहो, वह अपनी शक्ति से तुम्हारे पति को जीवित कर देगी। जब तक वह जीवित न करे, तब तक उसे छोड़ना मत. इतना कहकर वह चली जाती है। तब अंत में छोटी भाभी आती है. करवा उससे भी अपने पति को जीवित करने और उसे सुहागन बनाने को कहती है। छोटी भाभी उसकी बात नहीं मानती है, वह टालमटोल करती है. करवा उसे कसकर पकड़ लेती है और निवेदन करती रहती है।

उसकी जिद और कठोर तप को देखकर छोटी भाभी करवा के पति को जीवित करने के लिए मान जाती है। वह अपने हाथ की छोटी अंगुली को चारकर अमृत निकालती है और उसके पति के मुख में डाल देती है। उसके प्रभाव से उसका पति श्रीगणेश का नाम लेते हुए उठ जाता है। इस तरह से करवा का पति जीवित हो जाता है। इस प्रकार से सभी पर माता पार्वती की कृपा हो और सभी को करवा की तरह अखंड सौभाग्य का वरदान मिले।

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