सुहागिनों के लिए क्यों है खास करवाचौथ, जानिए क्या है पूजा शुभ मुहूर्त

पूजा का मुहूर्त शाम छह बजकर 16 मिनट से सात बजकर 30 मिनट तक है।

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लाइफस्टाइल डेस्क: नवरात्रि और दशहरा के बाद अब करवा चौथ की बारी है, जो उत्तर भारत में खासतौर पर मनाई जाती है। पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए महिलाएं शाम को चंद्रदर्शन के साथ अपना व्रत तोड़ती हैं। इस साल करवा चौथ आठ अक्टूर को पड़ रही है। इस व्रत के पीछे विश्वास है कि  इस दिन विवाहित महिलाएं और जिन महिलाओं की शादी होने वाली है वह अपने पति की लम्बी आयु और खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए निर्जला यानी बिना अन्न और जल का व्रत रखती हैं।

करवा चौथ की कहानी

करवा चौथ को लेकर कई कहानियां हैं। एक कहानी महारानी वीरवती को लेकर है। सात भाइयों की अकेली बहन थी वीरवती। घर में उसे भाइयों से बहुत प्यार मिलता था। उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत अपने मायके यानी पिता के घर रखा। सुबह से बहन को भूखा देख भाई दुखी हो गए। उन्होंने पीपल के पेड़ में एक अक्स बनाया, जिससे लगता था कि चंद्रमा उदय हो रहा है। वीरवती ने उसे चंद्रमा समझा। उसने व्रत तोड़ दिया। जैसे ही खाने का पहला कौर मुंह में रखा, उसे नौकर से संदेश मिला कि पति की मौत हो गई है। वीरवती रात भर रोती रही। उसके सामने देवी प्रकट हुईं और दुख की वजह पूछी। देवी ने उससे फिर व्रत रखने को कहा। वीरवती ने व्रत रखा। उसकी तपस्या से खुश होकर यमराज ने उसके पति को जीवित कर दिया।

करवा चौथ का मुहूर्त

आठ अक्टूबर यानी रविवार को करवा चौथ पड़ रही है। पूजा का मुहूर्त शाम छह बजकर 16 मिनट से सात बजकर 30 मिनट तक है। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय रात आठ बजकर 40 मिनट है। करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले जो सरगी खाई जाती है उसमें मठरी, मिठाई, काजू-किशमिश, ड्राई फ्रूट्स और अन्य खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं।

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