Kalawa Niyam हिंदू धर्म में हवन- यज्ञ या पूजा के बाद हाथ में कलावा बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि हाथ में कलावा बंधा रहने से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कलावा को रक्षा सूत्र के नाम से भी पुकारा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कलावा बांधने और उतारने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता है। ऐसा न करने पर आपको कलावा बांधने के शुभ फल प्राप्त नहीं होते हैं।
शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि जब कलावा पुराना हो जाता है या कलावे का रंग उतर जाता है तब उसे हाथ में धारण कर के नहीं रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इस प्रकार का कलावा दूषित और अशुद्ध माना जाता है। बहुत से लोग कलावा पुराना हो जाने पर हाथ से निकाल तो देते हैं लेकिन उसका क्या करना चाहिए इस बारे में उन्हें पता नहीं होता है, लिहाजा या तो लोग कलावे को यूं ही फेंक देते हैं या फिर उस कलावे को पेड़-पौधे से बांध देते हैं।
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कलावा उतारने का सही दिन?
जब कलावा पुराना या गंदा हो जाए तो उसे सम्मानपूर्वक उतार देना चाहिए। इसके लिए मंगलवार और शनिवार (Best Days to Take Off Kalava) के दिन उत्तम माने गए हैं। पुराने कलावा उतारने के बाद आप घर के मंदिर में पूजा करके नया कलावा हाथ में धारण कर लें।
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कलावे को जला देना चाहिए
शास्त्रों में ऐसा करना बहुत गलत बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, जब कलावा पुराना हो जाए तो उसे उतारने के बाद कभी भी किसी पेड़-पौधे को नहीं चढ़ाना या बांधना चाहिए क्योंकि वह उतरा हुआ अपवित्र कलावा है। शास्त्रों के अनुसार, नया कलावा व्यक्ति में दिव्यता का संचार करता है। वहीं, उतरा हुआ कलावा व्यक्ति की ऊर्जा ले लेता है। ऐसे में उस कलावे को फेंकना नकारात्मक ऊर्जाओं को आकर्षित करता है। उस कलावे को जला देना चाहिए।
ऐसा करने से न तो पूजा के कलावे का अपमान होता है और न ही नकारात्मक ऊर्जाएं आपको प्रभावित कर पाती हैं। कलावे को जलाने के अलावा उसे मिट्टी में गाढ़ना भू शास्त्रों में उचित माना गया है। ऐसा करने से कोई दोष भी नहीं लगता।
ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के आधार पर लिखा गया है। किसी भी उपाय को करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरुर लें।
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