Vipreet Rajyoga 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के सेनापति माने जाने मंगल ने पिछले महीने वृश्चिक राशि में प्रवेश किया है और 28 दिसंबर तक सेनापति यहीं रहेंगे। इससे वृश्चिक राशि में अत्यंत शुभ रुचक राजयोग बना है। इसके अलावा भौतिक सुख-सुविधा के कारक ग्रह शुक्र ने नवंबर के आखिर में तुला राशि में प्रवेश किया था, जिससे विपरीत राजयोग का निर्माण हुआ है।
रुचक और विपरीत राजयोग के कारण मेष राशि वालों को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं। इस समय व्यावसायिक प्रयास सफल होंगे। आमदनी के लिए किए जा रहे प्रयासों में सफलता मिल सकती है, जिससे वित्तीय लाभ मिल सकता है। मेष राशि के सिंगल लोगों के लिए इस समय कोई अच्छा विवाह प्रस्ताव आ सकता है। साथ ही आपको परिवार का साथ मिलेगा। इसके अलावा इस समय आपको भाग्य का साथ मिल सकता है, आमदनी के नए स्रोत मिल सकते हैं। साथ ही बचत करने में सफल हो सकते हैं।
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आपकी राशि वृश्चिक है तो इस समय बने रुचक और विपरीत राजयोग के कारण आप लोगों का भाग्योदय हो सकता है। इस समय आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। दोनों राजयोगों के प्रभाव से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यदि नौकरीपेशा हैं तो कार्यस्थल पर पदोन्नति मिल सकती है। यदि व्यापारी हैं तो आपको व्यवसाय में लाभ होगा।
कर्क राशि
यदि आपकी राशि कर्क है तो इस समय बने रूचक और विपरीत राजयोग के प्रभाव से आपके साहस और उपलब्धियों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उच्च शिक्षा के लिए विदेश यात्रा कर सकते हैं। इस समय कर्क राशि के लोगों को कई तरह के आर्थिक लाभ हो सकते हैं। इस समय आपको स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होगा और विवादों से दूरी बनाने में आपकी भलाई है।
मीन राशि
यदि आपकी राशि मीन है तो रूचक और विपरीत राजयोग के प्रभाव के कारण आपको भाग्य का अभूतपूर्व साथ मिलेगा। इसके कारण दिसंबर महीने में आपको विशेष लाभ हो सकते हैं और लंबे समय से रूके कार्य पूरे हो सकते हैं। इस समय पैतृक संपत्ति से आपको अप्रत्याशित वित्तीय लाभ होगा। इसके अलावा मनोरंजन और विपणन उद्योग से जुड़े हैं तो आपको कई तरह के अवसर मिल सकते हैं।
सरल भाषा में कहें तो जब किसी जातक की कुंडली में छठे भाव का स्वामी अष्टम या द्वादश भाव में विराजमान होता है, जब अष्टम भाव का स्वामी द्वादश या षष्ठम भाव में होता है, या फिर जब द्वादशेश षष्ठम या अष्टम भाव में होता है तो विपरीत राजयोग बनता है। यानी विपरीत राजयोग में त्रिक भाव (छह, आठ, बारहवां भाव) और इनके स्वामियों की ही भूमिका अहम होती है। विपरीत राजयोग तीन प्रकार का होता है- हर्ष, सरल और विमल।
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