गणेश चतुर्थी विशेष: इस दिशा में होगी ‘गणेश मूर्ति की सूंड’ तो पूरी होगी आपकी मनोकामना

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25 अगस्त 2017 से 10 दिनों के लिए गणेशोत्सव प्रारंभ हो रहा है। इन दिनों भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना जाता है। श्रीगणेशपुराण के बारें में आपने सुना हो। अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि गणेशपुराण के एक भाग में गणेश की प्रिय वस्तुओं का जिक्र किया गया है। चलिए आपको बताते हैं भगवान गणेश की प्रिय चीजों के अलावा शुभ मुहर्त और भी कई ध्यान योग्य बातें…

बाईं और सूंड वाले गणपति लाए अपने घर:

भाद्रपद माह में शुक्ल चतुर्थी के दिन मध्याह्न काल में श्रीगणेश का जन्म हुआ था। उनके जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। गणपति की आराधना जितनी सरल है उतनी ही कठिन भी है। गणपति की प्रतिमा को लेकर एक जिज्ञासा हमेशा रहती है कि उनकी सूंड किस दिशा में होना चाहिए। कई बार भगवान गणेश की मूर्ति की कहीं दाईं ओर तो कहीं बाईं ओर सूंड दिखाई देती हैं। लेकिन बाईं ओर सूंड वाले गणपति ज्यादा सिद्ध माने जाते हैं।

जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ बाईं ओर हो, उसे वाममुखी कहते हैं। वाम यानी बाईं ओर या उत्तर दिशा। बाई ओर चंद्र नाड़ी होती है। यह शीतलता प्रदान करती है एवं उत्तर दिशा अध्यात्म के लिए पूरक है। माना जाता है कि बाईं ओर की सूंड किए गणपति हमेशा ही सकारात्मक नतीजे देते हैं। वैसे भी गणपति को बुद्धि का देवता कहा जाता है। यदि विज्ञान के दृष्टिकोण से देखें तो बुद्धि दो भागों में बटीं होती है। इन्हें विशेष विधि विधान की जरुरत नहीं लगती। यह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। थोड़े में ही संतुष्ट हो जाते हैं। त्रुटियों पर क्षमा करते हैं।

कौन से मंत्र के साथ कौन सा पत्ता अर्पित करें :
– उच्च पद प्राप्ति के लिए – ‘गणाधीशाय नमः’ कहकर भंगरैया का पत्ता अर्पित करें।
– संतान प्राप्ति के लिए – ‘उमापुत्राय नमः’ कहकर बेलपत्र चढ़ाएं।
– अच्छे स्वास्थ्य के लिए – ‘लम्बोदराय नमः’ कहकर बेर का पत्ता अर्पित करें।
– कार्य की बाधा दूर करने के लिए – ‘वक्रतुण्डाय नमः’ कहकर सेम का पत्ता अर्पित करें।
– मान-सम्मान, यश की प्राप्ति के लिए – ‘चतुर्होत्रे नमः’ कहकर तेजपत्ता चढ़ाएं।
– नौकरी के लिए – ‘विकटाय नमः’ कहकर कनेर का पत्ता चढ़ाएं।
– व्यवसाय में लाभ के लिए – ‘सिद्धिविनायकाय नमः’ कहकर केतकी का पत्ता अर्पित करें।
– आर्थिक लाभ के लिए – ‘विनायकाय नमः’ कहकर आक का पत्ता चढ़ाएं।
– ह्रदय रोग में लाभ के लिए – ‘कपिलाय नमः’ कहकर अर्जुन का पत्ता अर्पित करें।
– शनि की पीड़ा को शांत करने के लिए – ‘सुमुखाय नमः’ कहकर शमी का पत्ता अर्पित करें।

भगवान गणेश को घर लाने का समय:

मध्याह्न के समय को गणेश पूजा: सुबह 11:25 से 1 बजकर 57 मिनट 24 अगस्त को, चंद्रमा को नहीं देखने का समय- 20: 27 बजे से शाम 21:02 बजे तक 25 अगस्त को,

चंद्रमा को नहीं देखने का समय- 09: 00 बजे से 21: 41 बजे तक अनंत चतुर्दशी दिवस पर गणेश विसर्जन गणेश विसर्जन के लिए

शुभ चोघडिया मुहूर्त सुबह का मुहूर्त (चार, लाभ, अमृत) – 09:32 बजे- 14:11 अपराह्न दोपहर का मुहूर्त (शुभ) = 15: 44 बजे- 17:17 बजे शाम का मुहूर्त(प्रयोग) = 20:17 अपराह्न – 21: 44 बजे रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चार) = 23:11 बजे

व्रत करने से दूर हो जाते है सारी मुश्किलें:

विनायक चतुर्थी व्रत करने से कहा जाता है कि सारी विघ्‍न दूर हो जाते है। कहते हैं चंद्र मास में दो चतुर्थी आती है, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित होती है। अमावस्‍या के बाद जो शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी आती है, उसे ही विनायक चतुर्थी कहा जाता है। वहीं पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी कहा जाता है। कहा जाता है कि इन दोनों दिनों पर जो लोग व्रत करते हैं और भगवान गणेश जी का स्‍मरण करते हैं उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं।

भगवान गणेश को पसंद है ये चढ़ावा:

लाल गुड़हल: वैसे तो भगवान गणेश को कोई भी लाल रंग का फूल चढ़ा सकते हैं लेकिन उन्‍हें लाल रंग का गुडहल का फूल बहुत पसंद है।

दूब घास: भगवान गणेश की पूजा बिना दूब घास के कभी पूरी नहीं की जा सकती।

शंख पुष्प: यह फूल देखने में सफेद या नीले रंग का होता है और शंख के आकार का होता है, जो कि भगवान गणेश को बहुत पसंद होता है।

मोदक: गणेश जी का एक दांत परशुराम जी से युद्ध में टूट गया था। इससे अन्य चीजों को खाने में गणेश जी को तकलीफ होती है, क्योंकि उन्हें चबाना पड़ता है। मोदक काफी मुलायम होता है जिससे इसे चबाना नहीं पड़ता है। यह मुंह में जाते ही घुल जाता है। इसलिए गणेश जी को मोदक बहुत ही प्रिय है।

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