हिंदू धर्म में मान्यता है कि किसी भी काम के आरम्भ में सर्वप्रथम गणेश पूजन किया जाता है। सभी देवाताओं से पहले गणेश का पूजन किया जाता है। सावन के बाद से त्यौहारों का सीजन शुरू जाएगा। जिसमें गणेशोत्सव देशभर में 10 दिनों तक बड़ी धूम धाम से मनाया जाएगा। इस बार गणेश चतुर्थी 2 सितबंर को मनाई जाएगी। देशभर में इसकी तैयारी जोरों पर है।
पूजा का समय-
मध्याह्न गणेश पूजा – 11:05 से 13:36
पुराणों के अनुसार गणेश चतुर्थी के ही दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी के दिन लोग कई जगह भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं और 10 दिनों तक उनकी पूजा करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से लोगों को सारे कष्ट दूर होते हैं और उनके जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। इस गणेश चतुर्थी के शुभ और मंगलमयी दिनों में अपनी राशि के अनुसार करें गणेश आराधना।
मेष : ॐ लम्बोदराय नम:।
वृषभ : ॐ विघ्नेश्वराय नम:।
मिथुन : ॐ गौरीपुत्राय नम:।
कर्क : ॐ गजानंद नम:।
सिंह : ॐ वक्रतुण्डाय नम:।
कन्या : ॐ वरदमूर्ते नम:।
तुला : ॐ विघ्नहर्ताय नम:।
वृश्चिक : ॐ रिद्धिदाताय नम:।
धनु : ॐ सुखकर्ता नम:।
मकर : ॐ मंगलदाताय नम:।
कुंभ : ॐ सिद्धिवराय नम:।
मीन : ॐ मोदकप्रियाय नम:।
कैसे करें गणेश की पूजा
गणेश चतुर्थी की सुबह जल्दी उठें, स्नान के बाद सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान श्रीगणेश को जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र आदि चढ़ाएं। पूजा का धागा अर्पित करें। चावल चढ़ाएं। गणेश मंत्र बोलते हुए दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर से भगवान श्रीगणेश की आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बांट दें।
पूजा के दौरान करें गणेश के 12 नाम के मंत्रों का उच्चारण
गणेशजी को दूर्वा की 11 या 21 गांठ चढ़ाएं और दूर्वा चढ़ाते समय इन मंत्रों का जाप करें। ऊँ गणाधिपतयै नम:, ऊँ उमापुत्राय नम:, ऊँ विघ्ननाशनाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ ईशपुत्राय नम:, ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:, ऊँ एकदन्ताय नम:, ऊँ इभवक्त्राय नम:, ऊँ मूषकवाहनाय नम:, ऊँ कुमारगुरवे नम:
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