जानें इसरो ने चद्रंयान-3 पर सोने की पन्नी क्यों चढ़ाई? पढ़कर चौंक जाएंगे आप

सैटेलाइट्स को जिस सुनहरी चीज में लपेटा जाता है उसे मल्टी लेयर इंसुलेशन (MLI) कहते हैं। यह काफी हल्का लेकिन बेहद मजबूत होता है। काफी पतली-पतली सतहों को मिलाकर एक मोटी परत बनाई जाती है

3
973

आज दुनियाभर की नजरें भारत पर है… आखिर हम चांद को छूने जो रहा है। चद्रंयान-3 (Chandryaan3) आज शाम 6 बजे चांद पर लैंड करेगा। भारत के कोने-कोने से कई तस्वीरें आ रही है। वहीं गूगल पर भी चद्रंयान, इसरो और स्पेस के बारें में काफी चीजें सर्च की जा रही है। क्यों ना स्पेस (अतंरिक्ष) से जुड़े ऐसे कई रोचक चीजें आज हम आपको भी बताएं…

लगातार आप चद्रंयान-3 की तस्वीरें और वीडियो देख रहे हैं आपने हमेशा इसकी तस्वीरों में देखा होगा कि ये सैटेलाइट किसी सुनहरी चीज में लिपटा होता है। सिर्फ चंद्रयान 3 ही नहीं, अंतरिक्ष में भेजा जाने वाला कोई भी सैटेलाइट इसी तरह सोने सी परत में लपेटा जाता है।

क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? क्या सिर्फ इसरो ही ऐसा करता है या नासा भी? क्या ये सुनहरी परत सोने से बनी होती है? इन सभी सवालों के जवाब काफी रोचक हैं। तो अगर खबर पसंद आए तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें…

सैटेलाइट्स पर सोने जैसे पन्नी में क्या है?
सैटेलाइट्स को जिस सुनहरी चीज में लपेटा जाता है उसे मल्टी लेयर इंसुलेशन (MLI) कहते हैं। यह काफी हल्का लेकिन बेहद मजबूत होता है। काफी पतली-पतली सतहों को मिलाकर एक मोटी परत बनाई जाती है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में मल्टी लेयर इंसुलेशन का नाम दिया गया है। आम भाषा में लोग इसे गोल्ड प्लेटिंग भी कहते हैं।

ये भी पढ़ें: दिल थाम लीजिए…सफल लैडिंग के बाद, भारत को अरबों का बिजनेस देगा चंद्रयान जानें क्या है मून इकॉनोमी

क्या मल्टी लेयर इंसुलेशन सोने का बना होता है?
मल्टी लेयर इंसुलेशन में पॉलिमाइड या पॉलीस्टर फिल्म्स का इस्तेमाल किया जाता है। ये फिल्म्स एक अलग-अलग तरह की प्लास्टिक्स होते हैं, जिनकी एल्युमिनियम की पतली परतों से कोटिंग की जाती है। इसमें सोने का भी इस्तेमाल होता है। हालांकि हमेशा सोने का प्रयोग जरूरी नहीं होता। यह इस बात पर निर्भर करता है कि सैटेलाइट कहां तक जाएगा, किस ऑर्बिट में रहेगा।

कैसे सुरक्षित रखती है मल्टी लेयर इंसुलेशन सैटेलाइट्स को ?
साइंस के मुताबिक, सोना सैटेलाइट की परिवर्तनशीलता, चालकता (कंडक्टिविटी) और जंग के प्रतिरोध को रोकता है। इसके अलावा जिन धातुओं का इस्तेमाल इस कोटिंग में होता है वे भी एयरोस्पेस इंडस्ट्री में बेदह मूल्यवान हैं। इनमें थर्मल कंट्रोल प्रॉपर्टी होती है। यानी ये परत हानिकारक इन्फ्रारेड रेडिएशन, थर्मल रेडिएशन को रोकने में मदद करती है।

ये भी पढ़ें: अंतरिक्ष की दुनिया में इसरो ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

रेडिएशन से कैसे बचते हैं सैटेलाइट्स? 
सोना सहित अन्य धातुओं से बनी इस परत से अगर सैटेलाइट को ढका नहीं जाएगा, तो अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन इतने खतरनाक होते हैं कि वे सैटेलाइट को तुरंत नष्ट कर सकते हैं। ये परत सैटेलाइट के नाजुक उपकरणओं, इसके सेंसर्स को इससे टकराने वाली हर तरह की वस्तुओं से भी बचाती है।

क्या सोने का इस्तेमाल इसरो ही करता है?
मल्टी लेयर इंसुलेशन (MLI) में इस्तेमाल होने वाले सोने को लेजर गोल्ड के नाम से जानते हैं। लेजर गोल्ड को सबसे पहले जेरॉक्स के लिए बड़े पैमाने पर विकसित किया गया था। इसे बनाने वाली कंपनी को अपनी कॉपी मशीनों के लिए टिकाऊ सोने के वर्क की जरूरत थी। नासा ने तब इसकी तकनीक के बारे में जाना, उसके बाद इसे बड़े पैमाने पर प्लेटिंग के लिए इस्तेमाल किया। सोने का इस्तेमाल हर स्पेस एंजेसी करती हैं केवल इसरो ही नहीं।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।

Comments are closed.