7 साल बाद निर्भया को मिला इंसाफ, चारों दोषियों को दी फांसी

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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली ( 2012 Delhi GangRape)  में 7 साल पहले हुए निर्भया रेप (Nirbhaya Case) केस में अब आखिरी इंसाफ की घड़ी आ गई है। निर्भया के चारों दोषियों  मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को शुक्रवार सुबह 5.30 बजे तिहाड़ जेल (Tihar Jail )में फांसी दे दी गई है। 7 साल, 3 महीने और 3 दिन के बाद ही सही आखिरकार निर्भया और उनके परिवार को इंसाफ मिल ही गया।

फांसी के बाद, पिता ने कहा- पूरे देश आज के दिन को निर्भया दिवस के तौर पर मनाए। वहीं मां आशा देवी ने कहा, “7 साल की लंबी लड़ाई के बाद अब बेटी की आत्मा को शांति मिली। बेटी जिंदा रहती तो डॉक्टर की मां कहलाती। आज निर्भया की मां के नाम से जानी जा रही हूं। देश की बच्चियों का इंसाफ मिला, आगे भी ये लड़ाई जारी रहेगी। दोषियों की फांसी के बाद, उम्मीद है कि अब कुकर्म करने से पहले लोग हजार बार सोचेंगे। लोग अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देंगे।

इससे पहले गुरुवार देर रात तक दिल्ली हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक दोषियों के वकील ने फांसी को टालने की पुरजोर कोशिश की। दिल्ली हाई कोर्ट से दोषियों को राहत नहीं मिली है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में ये मामला सुना गया और वहां से भी दोषियों को कोई राहत नहीं मिली।

Live Update- फांसी से पहले जेल और दोषियों का हाल- 
सुबह पांच बजे से चारों दोषियों को फांसी देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। एक घंटे से कम का वक्त फांसी देने में बचा है। दोषियों से नहाने और प्रार्थना के लिए बोला गया, लेकिन उन्होंने इनकार दिया है। सुबह 5 बजे दोषियों को काला कपड़ा पहनाया जाएगा। तिहाड़ जेल में लॉकडाउन किया गया है। जेल के बाहर अर्धसैनिक बल भारी संख्या में तैनात किए गए हैं। वहीं जेल के बाहर लोग बैन लेकर भारी संख्या में पहुंचे हुए हैं।

जेल अधिकारियों ने फांसी घर का जायजा लिया है। तिहाड़ में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, फांसी के लिए करीब 10 फीट का तख्ता तैयार किया गया है। फांसी के बाद करीब आधे घंटे बॉडी लटकी रहती है। फिर डॉक्टर चेक करते हैं।

दुष्कर्मियों के वकील का घिनौना बयान
सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने पर एपी सिंह ने मीडिया वालों को फटकार लगाई। उन्होंने रिपोर्टिंग पर सवाल उठाते हुए कहा- एक मां के लिए आप सात साल से नाचते घूम रहे हो। यह मां नहीं है क्या। क्या आठ साल से कम उम्र का कोई विक्टिम है। चोर की मां की बात है तो फिर उस कारण पर जाओ कि रात 12.30 बजे तक क्यों नहीं पता था कि बेटी कहां है। यह बात छोड़ दीजिए। फिर बातें बढ़ेंगी।

फांसी के बाद दीनदयाल अस्पताल में पोस्टमॉर्टम
फांसी के बाद मौके पर मौजूद डॉक्टर के द्वारा चारों को मृत घोषित करने के बाद दीनदयाल अस्पताल में पोस्टमॉर्टम होगा। इसके बाद परिवारों को शव लेने के लिए कहा जाएगा। अगर किसी परिवार ने शव लेने से इनकार किया तो जेल प्रशासन को क्या करना है? इसका भी इंतजाम किया गया है।

16 दिसंबर 2012 को क्या हुआ
16 दिसंबर 2012 की रात को कोई शख्स नहीं भूल सकता। राजधानी दिल्ली के मुनेरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया। इस मामले में दरिंदगी की वो सारी हदें पार की गईं, जिसे देखकर-सुनकर कोई दरिंदा भी दहशत में आ जाए। वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था। दोषियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी और चलती बस से बाहर फेंक दिया था।

पीड़िता का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया। वहां अस्पताल में इलाज के दौरान 29 दिसंबर को पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई। पीड़िता की मां ने बताया था कि वह आखिरी दम तक जीना चाहती थी।

1983 में हुई थी 4 दोषियों को एकसाथ फांसी
देश में करीब 36 साल बाद यह पहला मौका होगा, जब किसी मामले में चार दोषियों को एक ही दिन फंदे पर लटकाया जाएगा। पुणे में 10 लोगों की लूट के बाद हत्या करने वाले 4 सीरियल किलर राजेंद्र जक्कल, दिलीप सुतार, संतराम कनहोजी और मुनावर शाह को 25 अक्टूबर 1983 में यरवडा सेंट्रल जेल में सजा-ए-मौत दी गई थी।

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