मणिपुर हिंसा में 40 का एनकाउंटर, 80 लोगों की जान, 40 हजार से ज्यादा पलायन, जानें अबतक क्या हुआ?

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Manipur Violence: हिंसाग्रस्त मणिपुर में हालात सामान्य नहीं हो रहे हैं। एक बार फिर राज्य के अलग-अलग इलाकों में विद्रोहियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई। रविवार को एक बार फिर राजधानी इंफाल से लगे सेरौ और सुगनू इलाके में हिंसक झड़प हुई। इसमें 1 पुलिसकर्मी समेत 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 घायल हुए हैं। राज्य में हिंसा के चलते अब तक करीब 80 लोगों की जान गई है। बता दें, मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर 3 मई से हिंसा जारी है।

CM एन बीरेन सिंह ने बताया कि, 26 दिनों से जारी हिंसा के बीच पुलिस ने रविवार तक 40 लोगों का एनकाउंटर भी किया है। उन्होंने एनकाउंटर में मारे गए लोगों को ‘मिलिटेंट’ बताया है। CM ने कहा- ये लोग आम नागरिकों के खिलाफ एम-16, एके-47 असॉल्ट राइफलों और स्नाइपर गन का इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

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हिंसा का कारण-
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। हाल ही में मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं। वहीं मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं।

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राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाला नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है। नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। इससे नगा-कुकी नाराज चल रहे थे। मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।

मणिपुर से 40 हजार लोगों का पलायन
कई जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया, जो अब तक जारी है। 31 मई तक इंटरनेट भी बैन कर दिया गया है। राज्य से अब तक 40 हजार लोग पलायन कर चुके हैं।

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